Supreme Court: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनाव में EVM के सभी वोटो की गिनती वीपीपैट मशीन की पर्चियों से मिलान करने की मांग पर सुनवाई हुई है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को यह नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और मामले की जांच में अब 17 में को सुनवाई होगी। दरअसल एक्टिविटीस्ट अरुण कुमार अग्रवाल की ओर से अगस्त 2023 याचिका में मांग की गई थी, कि ईवीएम में पड़े सभी वोटों का मिलना वीपीपैट पर्चियों से करना चाहिए। फिलहाल निर्वाचन क्षेत्र के रेंडम 5 EVM का ही VVPAT से मिलान होता है। साथ ही कहा गया की वोटर को VVPAT की पर्ची फिजिकल वेरीफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। वोटर को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिलनी चाहिए और इससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका खत्म हो जाएगी।
20,000 पर्चियों का ही वेरिफिकेशन-
याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने लगभग 24 लाख VVPAT पद खरीदने के लिए 5,000 करोड रुपए खर्च किए हैं। लेकिन केवल 20,000 पर्चियों का ही वेरिफिकेशन होता है। याचिका में यह भी कहा गया कि फिलहाल हर निर्वाचन क्षेत्र में एक के बाद 5 EVM का एक VVPAT से मिलन होता है। इन 5 EVM का मिलान एक साथ नहीं किया जाता। जिसके रिजल्ट घोषित करने में ज्यादा समय लगता है। हर क्षेत्र में वोटो के मिलान के लिए अधिकारियों की तैनाती बढ़ानी चाहिए और उसमें बात 5 से 6 घंटे में पूरा वेरिफिकेशन हो जाना चाहिए।
VVPAT मशीन-
वाटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपीएटी एक मशीन होती है, जो वोटिंग का समय बताती है की वोटर ने किसे वोट दिया है। इसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन EVM से कनेक्ट किया जाता है EVM में वोटर जिस भी पार्टी पर बटन दबाता है। उस पार्टी के चिन्ह की पर्ची वोटर को VVPAT मशीन में दिखती है। इससे वाटर कंफर्म कर पता है कि उसने गेम में बटन दबाकर जिस प्रत्याशी को वोट दिया हैछ वह असल में उसी के पास गया है। VVPAT से निकलने वाली पर्ची सिर्फ वोटर को ही दिखती है। वह 7 सेकंड तक ही इसे देखकर अपने वोट को वेरीफाई कर सकते हैं। अगर चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका होती है तो चुनाव आयोग पत्रिका मिलान करता है।
वेरीफाई करने की मांग की याचिका-
साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 21 विपक्षी दलों के नेताओं ने सभी EVM में से कम से कम 50% VVPAT मशीनों की पर्चियां सेव वोटो के मिलान करने की मांग की थी। उस समय चुनाव आयोग हर निर्वाचन क्षेत्र में सिर्फ एक EVM का ही VVPAT मशीन से मिलान करता था। 8 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मिलान के लिए EVM की संख्या एक से बढ़ाकर 5 कर दी। जिसके बाद 2019 के कुछ टेक्नोक्रेट्स ने सभी EVM को वीवीपीएटी से वेरीफाई करने की मांग की याचिका लगाई। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। फिर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने भी जुलाई 2023 में वोटों के मिलान की याचिका लगाई।
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चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा संदेह-
जिसे खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कभी-कभी हम चुनाव निष्पक्षता पर ज्यादा संदेह करने लगते हैं। हालांकि कोर्ट में कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की जांच करने का आश्वासन दिया। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में धांधली के खिलाफ आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 5 फरवरी को सुनवाई हुई थी और चुनाव अधिकारी अनिल मसीह बैलेट पेपर पर क्रॉस लगाते देखे जा रहे थे। इसके बाद CJI ने कहा कि वीडियो में साफ पता चलता है कि अधिकारी ने चुनाव के बैलट पेपर को खराब किया है। क्या ऐसे ही चुनाव कराए जाते हैं। यह लोकतंत्र का मजाक है, लोकतंत्र की हत्या है।
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