पूरे देश में हिंदी विरोधी प्रतिक्रिया के बीच केंद्रीय मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने शनिवार को कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा है और इस भाषा के बिना देश की प्रगति असंभव है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि, हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है और भारत के लिए हिंदी के बिना प्रगति करना असंभव है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हर कोई अंग्रेजी माध्यम को प्राथमिकता देता है। मैं अंग्रेजों के खिलाफ हूं उनकी भाषा के खिलाफ नहीं। हमें सभी भाषा सीखनी चाहिए। लेकिन अंग्रेजी सीखना हमारी मानसिकता बन चुकी है जो गलत है इसे बदलना होगा क्योंकि यह राष्ट्र हित के खिलाफ है।
उन्होंने आगे कहा कि लोगों के लिए उनकी मातृभाषाएं सीखना जरूरी हो गया है क्योंकि अंग्रेजी माध्यम का प्रभुत्व हमारी सांस्कृतिक विरासत पर हावी हो चुकी है। नायडू ने कहा कि, चूंकि देश की अधिकांश आबादी हिंदीभाषी है, इसलिए हिंदी सीखना जरूरी है, लेकिन उससे पहले हमें अपनी मतृभाष सीखने की ज़रूरत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर कोई अंग्रेजी सीखने की तरफ रुख कर रहा है क्योंकि यह रोजगार की गारंटी देता है। इसलिए मैं देश को अपनी मातृभाषा को सीखने और बढ़ावा देने की बात कहना चाहता हूं।
वेंकैया नायडू ने कहा कि अंग्रेजी सीखते-सीखते हम अंग्रेजी माइंड में भी आ गए हैं। ये देश के हित में बिल्कुल भी नहीं है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में भी नायडू ने संसदीय समिति के एक फैसले का बचाव किया था जिसमें सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के हिंदी लिखने और बोलने के साथ-साथ हिंदी को कार्यालय की आधिकारिक भाषा बनाने का प्रस्ताव रखा गया था।