BJP and RSS: इस समय आरएसएस और बीजेपी के रिश्ते को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं, सोशल मीडिया पर लगातार मोहन भागवत के बयान और संघ की पत्रिका में लिखे गए लेख के मायने निकाले जा रहे हैं। यह सवाल घूम रहा है कि आखिर मोहन भागवत में क्यों ऐसा कहा और इंद्रेश कुमार ने बयान क्यों दिया। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन पर जो लिखा गया है, इसका मतलब क्या है? बीजेपी को टॉप लीडरशिप पर निशाना साधा गया है बीजेपी और आरएसएस के बीच आखिर क्या चल रहा है।
मंत्री जवाब दिए बिना ही चल दिए-
रिपोर्ट के मुताबिक, जब आरएसएस के बयान पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जितनी बीजेपी को सीट मिली है, उतनी विपक्ष को पीछले तीन सालों में नहीं मिली है वह यहां तक नहीं पहुंच पाए, आज वह लोग बड़ी-बड़ी बातें कर लेंगे, तो यह ठीक नहीं है। सवाल इंद्रेश कुमार के बयान पर पूछा गया, लेकिन मंत्री जवाब दिए बिना ही चल दिए। पत्रकार सवाल पूछते रहे, लेकिन वह आगे बढ़ गए।
RSS के बयान पर बीजेपी-
RSS के सवाल पर भाजपा के बड़े-बड़े नेता जवाब नहीं देना चाह रहे हैं। आखिर RSS के बयान पर बीजेपी इतनी चुप क्यों हो गई है। इसके लिए पूरी टाइमलाइन पर ध्यान देने की जरूरत है। दरअसल बात यह है की मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं, उधर अगले ही दिन में आने लगी RSS की टॉप लीडरशिप और संघ की पत्रिका में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर की गई सार्वजनिक टिप्पणी और लेख में बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर की गई समीक्षा चर्चा का कारण बन रही है।
क्या है मामला-
10 जून को आरएसएस संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में चुनाव परिणाम के नतीजे पर अपने विचार रखे थे। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारे में अहंकार को भाजपा के प्रदर्शन से जोड़ दिया। जिसके बाद 12 जून को आरएसएस के मुख पत्र ऑर्गनाइजर में बीजेपी के प्रदर्शन पर लेख लिखा गया और दावा किया गया कि अहंकार और अति आत्मविश्वास बीजेपी के खराब प्रदर्शन का कारण है।वहीं 13 जून को संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने खुल्लम-खुल्ला बीजेपी के प्रदर्शन को पार्टी के घमंड से जोड़ा, यानी 3 दिन में RSS की ओर से दोनों संगठनों के बीच वैचारिक मतभेद को सार्वजनिक कर दिया गया।
इंद्रेश कुमार-
इंद्रेश कुमार 13 जून को जयपुर के पास कानोती में राम व्रत अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह को संबोधित कर रहे थे, इसी दौरान उन्होंने भाजपा में के संदर्भ में कहा कि जिस पार्टी ने भगवान राम की भक्ति की, लेकिन अहंकारी हो गई, उसे 241 पर रोक किया गया। लेकिन मुझे उसे बड़ी पार्टी बना दिया, उसे जो पूर्ण हक मिलना चाहिए ,जो शक्ति मिलनी चाहिए थी, वह भगवान के अहंकार के कारण रोक दी गई।
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अपने ही बयान से पलट गए-
इंद्रेश कुमार ने स्पष्ट रूप से इंडिया ब्लॉक का जिक्र करते हुए कहा कि जिसकी राम में कोई आस्था नहीं थी, उन्हें एक साथ 234 पर रोक दिया गया। सब मिलकर भी नंबर एक नहीं नंबर दो पर खड़े रह गए। यह बड़ा आनंनदायक है। हालांकि की बाद में वह अपने ही बयान से पलट गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि देश का वातावरण इस समय बहुत स्पष्ट है, कि जिन्होंने राम मंदिर राम का विरोध किया है, वह सब सत्ता से बाहर है। लेकिन जिन्होंने राम भक्ति का संकल्प लिया वह प्रधानमंत्री बने।
RSS की टिप्पणी को लेकर BJP पर निशाना-
ध्यान देने वाली बात है RSS की टिप्पणी पर भाजपा ने चुप्पी धारण कर रखी है। लेकिन विपक्ष RSS की टिप्पणी को लेकर BJP पर निशाना बना रहे हैं। दरअसल 99 साल पुराने संगठन की देश में 95% विभाग है, कार्य राष्ट्रवाद और हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार प्रसार करना इसका काम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में आरएसएस के 20000 से ज्यादा स्कूल है, संघ का अलग-अलग काम होता है, किसान संघ ट्रेड यूनियन के लिए, भारतीय मजदूर संघ जैसे समाज के हर तबके तक RSS की पहुंच है।
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