Jayant Chaudhary: कांवड़ यात्रा के दौरान रास्तों पर दुकानदारों को नेम प्लेट लगवाने का फरमान योगी सरकार ने सुनाया था। उसके बाद से ही सियासत गरमाते हुए नजर आ रही है। विपक्षी दलों के अलावा एनडीए के सहयोगी दलों ने भी सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्होंने JDU और एलजेपी के बाद अब राष्ट्रीय लोक दल (RLD) ने भी इस फैसले पर सवाल उठा दिए हैं। आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा है की कावड़ यात्रियों की सेवा सब करते हैं, ना तो कावड़ लेकर जाने वाला व्यक्ति कोई किसी की पहचान करता है और ना ही कावड़ यात्री जाति धर्म की पहचान करके सेवा नहीं लेता है।
Jayant Chaudhary “क्या अपने कुर्ते पर भी लिखे”-
इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, बीजेपी ने ज्यादा समझकर फैसला नहीं लिया है। सरकार के पास अभी भी समय है कि उसे इस फैसला वापस ले लेना चाहिए। अब कहां-कहां अपना नाम लिखवाएं, क्या अपने कुर्ते पर भी लिखे अपना नाम, कि भाई नाम देखकर हाथ मिलाओ मुझसे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि योगी सरकार ने कावड़ रूट पर दुकान खोलने वालों के लिए एक आदेश जारी किया। इस आदेश में कहा गया कि सभी दुकानदारों को दुकान पर अपना नाम लिखना होगा, जिससे कावड़ यात्री जान सके कि वह किस दुकान से सामान खरीद रहे हैं।
NDA ally Jayant Chaudhary, who opposed the Yogi government, said the decision to write names on shops on the Kavad route was taken without any understanding. It should be withdrawn. This is our party's stand. pic.twitter.com/XEhoO4GauW
— Akki Sehra (@Akkisehra) July 21, 2024
मुख्यमंत्री कार्यालय (Jayant Chaudhary)-
मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कावड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर नेम प्लेट लगानी होगी और दुकानों पर संचालक मालिक का नाम और पहचान भी लिखना होगा। सीएमओ के मुताबिक, कावड़ यात्रियों की आस्था की सुचिता बनाए रखने के लिए फैसला लिया गया है और हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्यवाही होगी।
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योगी सरकार-
वैसे तो हर बार कावड़ियों की कावड़ यात्रा के लिए योगी सरकार, यूपी प्रशासन कुछ ना कुछ नया करते हैं। चाहे वह हेलीकॉप्टर से फूल बरसाना हो या फिर कांवड़ियों की तरह-तरह से सेवा करना हो। लेकिन प्लेट लगाने वाला फरमान आया तो विपक्ष के साथ अपनों ने भी सवाल उठा दिए हैं। विरोधी दल सरकार के इस कदम पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन भाजपा नेता इसे कांवड़ यात्रा की सुचिता से जोड़ रहे हैं और अपने इलाकों में भी इसी तरह की कदम की मांग की जा रही है।
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