Nitish and Naidu: वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर चल रही सियासत ने एक नया मोड़ ले लिया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी के हालिया बयान ने अटकलें तेज कर दी हैं, कि क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार के खिलाफ वोट बैंक की राजनीति को लेकर अपना रुख बदल सकते हैं। गुरुवार को रहमानी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कि मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की थी।
वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध-
इस मुलाकातों के दौरान दोनों नेताओं ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने का आश्वासन दिया है। रहमानी के मुताबिक, नीतीश और नायडू ने यह भी कहा कि अगर यह विधेयक संसद में पेश किया गया, तो इसके खिलाफ वे सक्रिय विरोध करेंगे। इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और सवाल उठने लगे हैं कि क्या नीतीश और नायडू मोदी सरकार के साथ अपने गठबंधन को तोड़ देंगे। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की पार्टियां वर्तमान में एनडीए का हिस्सा हैं और केंद्र में मोदी सरकार का समर्थन करते हैं।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू-
लेकिन AIMPLB के बयान के बाद, यह आशंका जताई जा रही है कि वोट बैंक की राजनीति के चलते दोनों नेता सरकार के खिलाफ जा सकते हैं। रहमानी ने कहा, कि “हमने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की और उन्होंने वक्फ विधेयक का विरोध करने का आश्वासन दिया। यह कोई धार्मिक मामला नहीं, बल्कि न्याय और अन्याय का मुद्दा है। हम चाहते हैं कि सभी धर्मनिरपेक्ष दल इस मुद्दे पर एकजुट होकर हमारा समर्थन करें।”
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सरकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं-
इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और अन्य धर्मनिरपेक्ष पार्टियों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है, जो स्थिति को और भी पेचीदा बना देता है। ठाकरे ने कहा कि वक्फ पर सरकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जबकि कई अन्य दल भी विधेयक के खिलाफ मोर्चा संभालने की तैयारी कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत हो सकती है कि वह मोदी सरकार के खिलाफ अपने राजनीतिक रुख को मजबूत करने के लिए इस मुद्दे का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्या यह दोनो मोदी सरकार को वोट बैंक की राजनीति के चलते धोखा देंगे, यह सवाल अभी भी बना हुआ है।
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