Port Blair: शुक्रवार को केंद्र सरकार ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया। इस बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा करते हुए कहा, कि राष्ट्र को औपनिवेशिक छापों से मुक्त करने के विचार को ध्यान में रखते हुए, यह फैसला लिया गया है। एक ट्वीट में अमित शाह ने कहा कि श्री विजयपुरम का हमारे स्वतंत्रता संग्राम और इतिहास में अद्वितिय स्थान है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह नाम हमारे स्वतंत्रता संग्राम में हुई जीत का भी प्रतीक है।
Inspired by the vision of PM @narendramodi Ji, to free the nation from the colonial imprints, today we have decided to rename Port Blair as "Sri Vijaya Puram."
While the earlier name had a colonial legacy, Sri Vijaya Puram symbolises the victory achieved in our freedom struggle…
— Amit Shah (@AmitShah) September 13, 2024
पोर्ट ब्लेयर ईस्ट इंडिया कंपनी-
दरअसल इस जगह का नाम पोर्ट ब्लेयर ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश औपनिवेशिक नौसेना अधिकारी कैप्टन आर्किमिडी ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। शाह का कहना है कि पहले का नाम औपनिवेशिक विरासत का था। लेकिन श्री विजयपुरम हमारी स्वतंत्रता संग्राम की विजय और उसमें अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की अद्वितीय भूमिका का प्रतीक है। उनका कहना है कि यह स्थान वह स्थान है, जहां पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी ने पहली बार तिरंगा लहराया था और यह वह सेल्यूलर जेल भी है, जहां वीर सावरकर जी और स्वतंत्रता सेनानियों ने स्वतंत्र राष्ट्रीय के लिए संघर्ष किया था।
विकास आकांक्षाओं के लिए जरूरी-
अमित शाह ने आगे कहा, कि अंडमान-निकोबार महाद्वीप समूह का हमारे स्वतंत्रता संग्राम और इतिहास में बहुत अद्वितीय स्थान रहा है। द्वीप क्षेत्र जो कभी चोल साम्राज्य के नौसैनिकों के अड्डे के रूप में काम करता था। आज हमारी राजनीति और विकास आकांक्षाओं के लिए जरूरी आधार बनने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, कि विजयपुरम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समृद्ध इतिहास और वीर लोगों का सम्मान करता है।
The name Sri Vijaya Puram honours the rich history and heroic people of Andaman and Nicobar islands. It also reflects our commitment to break free from the colonial mindset and celebrate our heritage. https://t.co/m1Cwlk38tb
— Narendra Modi (@narendramodi) September 13, 2024
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औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त-
उन्होंने ट्वीट कर कहा, कि यह औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त होने और अपनी विरासत का जश्न मनाने की हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देते हुए, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तीन द्वीप के नाम बदलने की घोषणा की गई थी। उन तीन महाद्वीपों में हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप और रॉस द्वीप था। जिनका नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, शहीद द्वीप और स्वराज द्वीप रख दिया गया। साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने औपनिवेशिक विरासत को खत्म करने के लिए ऐतिहासिक महत्व वाले जगहों के नाम बदल दिए।
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