Arvind Kejriwal: करीब 177 दिनों के बाद अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल चुकी है। उनके जेल से बाहर आने के बाद से आम आदमी पार्टी का हौसला और ज्यादा बुलंद हो गया है। उनकी पार्टी ने हरियाणा में 90 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है और अपने उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। अब लग रहा है कि हरियाणा का चुनावी दंगल जोरदार होने वाला है। हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी एक प्रमुख पार्टी है। हरियाणा में आप का असर ठीक-ठाक माना जाता है। साल 2019 में आम आदमी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा के चुनाव में 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
आम आदमी पार्टी-
हालांकि उस समय उनका वोट शेयर सिर्फ एक फीसदी ही रहा। लेकिन तब से लेकर अब तक जो कांग्रेस या बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते, आम आदमी पार्टी उन लोगों को एक अच्छे विकल्प की तरह दिखती है। लंबे समय तक बीजेपी का गढ़ रहने वाला यह राज्य कम से कम विधानसभा के स्तर पर आम आदमी पार्टी का गढ़ बन चुकी है। पहले से ही हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस को अलग-अलग गुटों की लड़ाई से जूझना पड़ रहा है। जबकि बीजेपी में इस बार खूब उठा पटक हुई है। कांग्रेस चुनाव के पहले चाह रही थी, कि देशभर में यह संदेश दिया जाए कि उसका इंडिया लाइंस कामयाब है।
हरियामा की राजनिती में उथल-पुथल-
इसके साथ ही उसे AAP का फायदा मिल सके। इसीलिए कांग्रेस लगातार आप से गठबंधन करने की कोशिश कर रही थी। ऐसा कहा जा रहा है की सीटों पर बात न बनने की वजह से अरविंद केजरीवाल ने ही गठबंधन न करने का फैसला किया। यह फैसला उनके लिए अभी के वक्त में ठीक दिख रहा है। हरियाणा में बहुत तरह के मुद्दे इधर-उधर जाते दिखे हैं। राज्य में खिलाड़ियों की भावनाओं का सम्मान हो रहा है। विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया कांग्रेस में जा चुके हैं। यह रेलवे में नौकरी कर रहे थे, वहां से इस्तीफा देकर यह दोनों ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं।
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सावित्री जिंदल-
इनमें से विनेश फोगाट को कांग्रेस पार्टी ने जुलाना की सीट के से मैदान में उतारा है। वहीं बीजेपी ने कई पुराने नेताओं को टिकट नहीं दिया। इसमें सावित्री जिंदल भी शामिल हैं बड़े उद्योग घराने से ताल्लुक रखने वाली सावित्री निर्दलिय चुनाव लड़ रही है और भी कई नेता पार्टी से टिकट न मिलने की वजह से खफा नजर आ रही हैं। हालांकि कांग्रेस के सामने भी कम चुनौतियां नहीं है। अभी भी यह नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस में जो तीनों गुट बन चुके हैं वह मिलकर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में जेल से निकलकर अरविंद केजरीवाल अपने अभियान को धार देंगे और वह अपनी पार्टी के लिए उन पर किए गए जुल्म की कहानी भी सुनाएंगे।
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