HMPV Virus: आज HMPV वायरस का प्रभाव तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिसकी चपेट में बड़ी संख्या में लोग आ चुके हैं। हालांकी अलग-अलग देशों में लोगों को पिलहाल एचएमवीपी के प्रकोप से ना घबराने की सलाह दी गई और बताया गया है, कि इसने चीन की अस्पतालों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। लेकिन विशेषज्ञ इसकी स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। लेकिन हाल ही में बीजिंग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है, जिसमें भीड़भाड़ वाली जगह, वार्डों को कम आंकते हुए कहा गया है, कि पिछले साल की तुलना में संक्रमण कम गंभीर है और छोटे पैमाने पर है। हालांकि इसके बाद कुछ लोगों में यह डर पैदा हो गया, कि वर्तमान में स्थिति और 2019 में कोविड प्रकोप में समानताएं हैं। जिसे शुरू में चीन ने कम आंका था।
कुछ हफ्तों में मामलों में वृद्धि-
वहीं ब्रिटेन से प्राप्त आंकड़ों से यह पता चलता है, कि हाल ही के कुछ हफ्तों में इन मामलों में वृद्धि देखी गई है। यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के वायरस निगरानी आंकड़ों के मुताबिक, 23 दिसंबर तक अस्पतालों में श्वसन संक्रमण के लिए परीक्षण किए गए, 10 बच्चों में से एक को एचएमपीवी के लिए पॉजिटिव पाया गया था। हालांकि प्रमुख महामारी विशेषज्ञ प्रोफेसर कैथरीन बेनेट ने जनता को आस्वस्थ किया है, कि एचएमपीवी प्रकोप को फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में कोई बड़ा खतरा नहीं है। क्योंकि यहां गर्मी का मौसम है। उनका कहना है, कि सर्दियों में शोषण संबंधी बीमारियों की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज़ हमेशा सबसे ज्यादा होते हैं और चीन भी इसी स्थिति से गुजर रहा है।
लक्षण-
एचएमपीवी से आमतौर पर सर्दी, जुकाम जैसे लक्षण नज़र आते हैं। जिसमें नाक बहना, खांसी आना, नाक बंद होना, गले में खराश, बुखार शामिल है, जो 5 दिनों तक के बाद ठीक हो जाते है। लेकिन ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और ब्राउन कियॉॅलाइटिस जैसे ज्यादा गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं। जिससे पीड़ितों को सांस लेने में तकलीफ, घबराहट और गंभीर खांसी की समस्याएं हो सकती है। हालांकि एचएमपीवी के लिए अभी तक कोई टीका या एंटीवायरस उपचार उपलब्ध नहीं है और उपचार में मुख्य रूप से लक्षणों का प्रबंधन शामिल है। एचएमपीवी उन सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है, जो संक्रमित व्यक्ति द्वारा सांस लेने पर बाहर निकलती है।

संक्रमण कब होता है-
लेकिन खांसने और छिंकने पर यह ज्यादा मात्रा में फैल सकता है। यह संक्रमण तब हो सकता है, जब आसपास के लोग इन बूंदों को सांस के माध्यम से अंदर ले लेते हैं या इससे संक्रमित तत्वों को छूकर जैसे दरवाजा, हैंडल और फिर अपने चेहरे या मुंह को हाथ लगाते हैं। एचएमपीवी से पीड़ित लोग खुद कोई लक्षण ना दिखाते हुए भी वायरस को फैला सकते हैं। क्योंकि बीमार होने से पहले भी संक्रमण होता है। कोविड के विपरीत एचएमपीवी इंसान के लिए कोई नया वायरस नहीं है। मानव संक्रमण का पहला मामला साल 2001 में नीदरलैंड में रिपोर्ट किया गया था। ऑस्ट्रेलिया में एचएमपीवी को बच्चों और वयस्कों दोनों में सबसे आम वायरस बन गया है।

बीमारी के प्रसार की निगरानी-
प्रोफेसर बेनेट का कहना है, कि वह इसकी तुलना कोविड से कर रहे हैं। लेकिन कोविद-19 एक नया मानव वायरस है। कोविड के खिलाफ किसी के पास कोई अच्छी प्रतिरक्षा नहीं है और इसीलिए हम इसके प्रति संवेदनशील हैं। इसके विपरीत एचएमपीवी एक ऐसा वायरस है, जिसके बारे में सदी के अंत से ही पता है। असल में यह एक ऐसी बीमारी है, जो काफी हद तक आम है। हालांकि उन्होंने चेतावनी दी है, की बीमारी के प्रसार की निगरानी के लिए सक्रिय रूप से शामिल रहना जरूरी है। क्योंकि वायरस समय के साथ लगातार बढ़ रहा है। अन्य देशों में स्थिति पर नजर इसलिए रखी जा रही है, जिससे मामलों में किसी भी सामान्य वृद्धि की जांच की जा सके, जो आमतौर पर देखी जाती है।
ये भी पढ़ें- एक ही परिवार के 6 भाईयों ने की 6 बहनों से शादी, वजह जान हो जाएंगे हैरान
वायरस में परिवर्तन-
इससे सुनिश्चित किया जा सकता है, कि वायरस में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है या यह बड़ा नहीं है। ऑस्ट्रेलिया राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा एवं विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर का कहना है, कि चीन के लिए इस प्रकोप पर अपने अपडेट को समय पर शेयर करना जरूरी है। जिसमें कौन संक्रमित हो रहा है, इसका उत्तर भी शामिल हो। इसके अलावा यह कोविड-19 महामारी से बहुत अलग है। जहां वायरस मनुष्य में पूरी तरह से नया था और जानवरों से फैल रहा था, जो महामारी के स्तर पर तक फैल गया।
ये भी पढ़ें- बर्फीले तूफान के चलते 7 राज्यों में लागू हुई इमरजेंसी, सड़कों पर मोटी बर्फ की चादर..
 
					 
							 
			 
                                 
                             