Modern Madrasa Uttarakhand: देहरादून में उत्तराखंड का पहला आधुनिक मदरसा, जो महान वैज्ञानिक डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर स्थापित किया जा रहा है, विवादों में घिर गया है। मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों ने इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है, जिससे यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
क्या है योजना?(Modern Madrasa Uttarakhand)
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, कि रेलवे स्टेशन के पास मुस्लिम कॉलोनी में लगभग 50 लाख रुपये की लागत से यह आधुनिक मदरसा विकसित किया गया है। उन्होंने यह भी बताया, कि साल के अंत तक राज्य में 10 और ऐसे मदरसे स्थापित करने की योजना है।
विरोध का कारण(Modern Madrasa Uttarakhand)-
मुस्लिम सेवा संघ के अध्यक्ष नईम अहमद ने मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर सरकार के दृष्टिकोण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है, “अगर आधुनिकीकरण के नाम पर मदरसों के मूल स्वरूप को बदला गया, तो हम बिना देरी के इसे कोर्ट में चुनौती देंगे।”
पाठ्यक्रम को लेकर विवाद-
अहमद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, “हम दुनिया की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत को पढ़ाने का विरोध नहीं करते, लेकिन अरबी और उर्दू को भी पाठ्यक्रम में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।” उन्होंने सवाल उठाया, कि क्या आधुनिकीकरण में खेल के मैदान, स्मार्ट क्लासरूम या ICSE और CBSE पाठ्यक्रम शामिल हैं?
कानूनी पक्ष-
उत्तराखंड बार काउंसिल की पूर्व अध्यक्ष राजिया बेग ने इस बहस में अपनी आवाज जोड़ते हुए कहा, “हमें आधुनिकीकरण से कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते मदरसों का मूल स्वरूप बरकरार रहे। लेकिन अगर ये प्रयास मदरसों को डराने या नियंत्रित करने के लिए हैं, तो हम ऐसा नहीं होने देंगे।”
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वर्तमान स्थिति-
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड वर्तमान में राज्य भर में 117 मदरसों का संचालन कर रहा है, जो कुल 419 पंजीकृत संस्थानों का हिस्सा हैं। हालांकि अनुमान है, कि 800 से अधिक मदरसे अवैध रूप से संचालित हो सकते हैं, जिनमें से विभिन्न जिलों में 190 की पहले ही पहचान की जा चुकी है।
इस विवाद ने शिक्षा और परंपरा के बीच संतुलन की जरूरत को रेखांकित किया है। जहां एक तरफ आधुनिकीकरण आवश्यक माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर परंपरागत मूल्यों को बचाए रखने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
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