फरीदाबाद। जानेेेेमाने कवि और हिन्दी प्रोफेसर प्रेस फोटोग्राफर राकेश कश्यप के पिता प्रभुदयाल कश्यप का मंगलवार सुबह देहांत हो गया। 87 साल की उम्र में भी वे बुलंद आवाज में प्रेम रस की रचनाओं को गाते थे।
स्वर्गीय प्रभुदयाल कश्यप कवि होने के साथ साथ एक शिक्षक भी थे। हरियाणा के तमाम कॉलेजों में हिंदी के प्रोफेसर के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं दी और फरीदाबाद के जवाहर लाल नेहरु कॉलेज से रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद वो विभिन्न आयोजनों में काव्यपाठ करते रहे और अपने जीवन का शेष समय सेक्टर 17 में अपने परिवार के साथ बिताया।
प्रभुदयाल जी की प्रारंभिक शिक्षा मथुरा उत्तर प्रदेश में हुई आगे की शिक्षा उन्होंने लाहौर विश्वविद्यालय में हासिल की। प्रभुदयाल जी हास्य और प्रेम रस के कवि थे। उनकी तीन काव्य रचनाएं प्रकाशित हुई। जिनमें कोहरे में कौमुदी मोहोउत्सव प्रमुख रही। इसके अलावा वो हर वर्ष सूरदास जयंती के अवसर पर सूरदास की जन्मभूमि फरीदबाद के ही सीही गांव में काव्यपाठ किया करते थे। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को अजरौंदा चौक मथुरा रोड के स्वर्गाश्रम में किया गया।मुखाग्नि उनके इकलौते बेटे प्रेस फोटोग्राफर राकेश कश्यप ने दी। अंतिम संस्कार में वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के गणमान्य लोगों मौजूद रहे।