Patanjali: योग गुरु बाबा रामदेव और उनकी पतंजलि साम्राज्य एक बार फिर कानूनी विवादों में घिर गए हैं। पालक्काड में ज्युडिशियल फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट II ने बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। यह वारंट 16 जनवरी को कोर्ट में पेश न होने के कारण जारी किया गया है।
केस की पूरी कहानी(Patanjali)-
अक्टूबर 2024 में दर्ज इस मामले में पतंजलि पर हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स को लेकर भ्रामक दावे करने का आरोप है। कंपनी के विज्ञापनों में हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज का दावा किया गया था। यह दावे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ऑब्जेक्शनेबल एडवरटाइजमेंट्स) एक्ट, 1954 का उल्लंघन करते हैं।
राज्यों में मामलों की लंबी फेहरिस्त(Patanjali)-
पतंजलि के खिलाफ यह अकेला मामला नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोझीकोड और हरिद्वार में भी इसी तरह के केस पेंडिंग हैं। अकेले केरल में ही कम से कम 10 केस दर्ज हैं। जिनमें से कोझीकोड में 4 केस, पालक्काड में 3 केस, एर्नाकुलम में 2 केस और तिरुवनंतपुरम में 1 केस शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त चेतावनी(Patanjali)-
15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। जस्टिस अभय ओका और उज्जल भूयान ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भ्रामक मेडिकल क्लेम्स के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर कंटेम्प्ट एक्शन की चेतावनी दी।
जनता के लिए क्या मायने रखता है यह केस-
पतंजलि भारत में एक जाना-माना नाम है। योग गुरु की लोकप्रियता का फायदा उठाकर टूथपेस्ट से लेकर हर्बल मेडिसिन तक बेचने वाली यह कंपनी अक्सर विवादों में रही है। आलोचकों का कहना है, कि आयुर्वेदिक परंपरा का झंडा लेकर चलने वाली पतंजली ने कई बार असत्यापित और बेतुके स्वास्थ्य दावे किए हैं।
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आयुर्वेद और नैचुरल रेमेडीज-
आयुर्वेद और नैचुरल रेमेडीज में भारतीयों के विश्वास का फायदा उठाकर बाजार में अपनी जगह बनाने वाली पतंजलि के लिए यह केवल कानूनी मामला नहीं है – यह उनकी ब्रांड क्रेडिबिलिटी की परीक्षा है। अब कंपनी को या तो अपने दावों को साबित करना होगा या फिर अतिरंजित वादों के परिणाम भुगतने होंगे।
केस की अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी। न्यायपालिका के सख्त रुख के बाद अब देखना यह है कि बाबा रामदेव और उनकी टीम कोर्ट में पेश होती है या नहीं।
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