French Cyclist: रात के ग्यारह बजे, एक अंधेरी और सुनसान सड़क पर दो विदेशी साइकिल सवार, अपने सपनों के सफर में खोए हुए हैं। लेकिन उन्हें नहीं पता की वह अपने रास्ते से भटक चुके हैं। यह कहानी सिर्फ एक भटकाव की नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और मदद की एक अद्भुत कहानी है। ब्रायन जैक्स गिल्बर्ट और सेबेस्टियन फ्रांसुआ गैब्रियल – दो ऐसे साहसी यात्री हैं, जिन्होंने दिल्ली से काठमांडू तक की यात्रा का फैसला किया। उनका लक्ष्य था, तनकपुर के रास्ते से नेपाल पहुंचना, लेकिन गूगल मैप्स ने उनकी योजनाओं में एक अजीब मोड़ ला दिया।
गूगल मैप्स मददगार या भटकाने वाला?(French Cyclist)

दरअसल तकनीक ने एक बार लोगों को हैरान किया। गूगल मैप्स ने उन्हें बहेड़ी के रास्ते में भटका दिया, जहां वे बिल्कुल अजनबी और असमंजस में थे। रात के अंधेरे में एक अपरिचित इलाके में ये दोनों यात्री बस एक चीज चाहते थे, सुरक्षा और मार्गदर्शन।
स्थानीय ग्रामीण(French Cyclist)-
जब गांव के लोगों ने इन दो विदेशी साइकिल सवारों को देखा, तो उनकी पहली प्रतिक्रिया थी, मदद करने की। भाषा की बाधा के बावजूद, उन्होंने इन यात्रियों को चुराईली पुलिस चौकी तक पहुंचाया। यह वह समय था, जब मानवता ने तकनीक की कमियों को पाट दिया।
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पुलिस प्रशासन का व्यवहार(French Cyclist)-

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने जब इस घटना की जानकारी ली, तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप किया। उन्होंने न केवल इन यात्रियों से बात की, बल्कि उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचने में मदद की। ग्राम प्रधान के घर में रात बिताने के बाद, अगली सुबह पुलिस ने इन यात्रियों को उनके मार्ग का सही निर्देश दिया। यह सिर्फ एक सहायता नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की मेहमाननवाजी का एक उदाहरण था।
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इस घटना से हमें कई सबक मिलते हैं, जैसे कि हमें तकनीक पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए, अपरिचित में भी मानवता जीवित है, साथ ही साहस और मदद हमेशा राह दिखाती है।