US Citizenship Law: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर जन्म से नागरिकता के मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, कि जन्म से नागरिकता का अधिकार मूल रूप से गुलामों के बच्चों के लिए बनाया गया था, न कि पूरी दुनिया के लिए।
US Citizenship Law कानूनी संघर्ष की शुरुआत-
अपने कार्यकाल के पहले ही दिन ट्रम्प ने जन्म से नागरिकता के खिलाफ एक कार्यकारी आदेश जारी किया था। हालांकि, सिएटल की एक संघीय अदालत ने अगले ही दिन इसे खारिज कर दिया। ट्रम्प ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है और उन्हें विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट उनके पक्ष में फैसला करेगा।
US Citizenship Law ट्रम्प का नज़रिया-
ट्रम्प ने कहा, “यह कानून अयोग्य लोगों और उनके संभावित अयोग्य बच्चों के लिए नहीं बनाया गया था।” उन्होंने जोर देकर कहा कि गुलामों के बच्चों के लिए यह एक “बहुत अच्छा और महान” कदम था, और वे इसका 100 प्रतिशत समर्थन करते हैं। लेकिन उनका मानना है कि इसका मकसद पूरी दुनिया को अमेरिका में बसने का अधिकार देना नहीं था।
रिपब्लिकन सीनेटरों का नया बिल-
इसी हफ्ते, रिपब्लिकन सीनेटरों के एक समूह ने अमेरिकी सीनेट में एक नया विधेयक पेश किया है। इस बिल का उद्देश्य अवैध प्रवासियों और अस्थायी वीजा पर रहने वाले गैर-प्रवासियों के बच्चों के लिए जन्म से नागरिकता को सीमित करना है।
आंकड़ों की भाषा में-
सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज के अनुसार, 2023 में अवैध प्रवासियों के 2,25,000 से 2,50,000 बच्चे पैदा हुए, जो अमेरिका में होने वाले कुल जन्म का लगभग सात प्रतिशत है। अमेरिका दुनिया के उन 33 देशों में से एक है जहां जन्म से नागरिकता पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
बर्थराइट सिटीजनशिप एक्ट 2025-
नए प्रस्तावित कानून में स्पष्ट किया गया है कि जन्म के आधार पर नागरिकता किन्हें मिल सकती है। इसमें ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता में से कम से कम एक अमेरिकी नागरिक हो, वैध स्थायी निवासी के बच्चे, सशस्त्र बलों में सक्रिय सेवा कर रहे विदेशी नागरिकों के बच्चे शामिल हैं। यह कानून केवल इसके लागू होने के बाद जन्मे बच्चों पर ही लागू होगा।
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चुनौतियां-
सीनेटर लिंडसे ग्राहम, टेड क्रूज और केटी ब्रिट का मानना है कि जन्म से नागरिकता का दुरुपयोग अवैध प्रवासन को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख कारक है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक कमजोरी है। हालांकि, इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों के बीच मतभेद बने हुए हैं।
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