Abu Qatal: अबू कतल उर्फ कतल सिंधी, लश्कर-ए-तैयबा का एक खूंखार आतंकवादी, शनिवार की रात पाकिस्तान के झेलम सिंध में अज्ञात हमलावरों द्वारा मार गिराया गया। यह आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में कई हमलों का मास्टरमाइंड था और 26/11 मुंबई आतंकी हमले के सरगना हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था।
कौन था Abu Qatal?
अबू कतल लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख आतंकवादी था, जिसका आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का इतिहास 2002-03 से शुरू होता है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के अनुसार, उस समय वह भारत में घुसपैठ कर पूंछ-राजौरी क्षेत्र में सक्रिय था। उसका प्रभाव और पहुंच बहुत व्यापक थी।
कतल की मौत आतंकवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह कई आतंकी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। हालांकि, उसकी मौत से लश्कर-ए-तैयबा के संचालन में बाधा आ सकती है, लेकिन यह संगठन खुद को अनुकूलित करने और फिर से एकजुट होने की क्षमता रखता है, जो चिंता का विषय बना हुआ है।
Abu Qatal प्रॉक्सी आतंकी संगठनों का निर्माता-
इस कुख्यात आतंकवादी ने पीपल्स एंटी-फासिस्ट फोर्स (PAFF) और द रेजिस्टेंट फोर्स (TRF) नामक प्रॉक्सी आतंकी संगठन बनाए थे। ये समूह लश्कर-ए-तैयबा और जैश जैसे अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों को छिपाने के लिए बनाए गए थे, जो 2019 से सक्रिय हैं।
गृह मंत्रालय ने 7 जनवरी, 2023 से PAFF को आतंकवादी समूह के रूप में नामित किया था। यह समूह जम्मू-कश्मीर में कई हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है, जिसमें भारतीय सुरक्षा बलों और नागरिकों को निशाना बनाया गया है।
Abu Qatal रियासी हमले में महत्वपूर्ण भूमिका-
अबू कतल ने 9 जून को रियासी में शिव खोरी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस पर हुए भयावह हमले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस त्रासदी में नौ लोगों की जान चली गई थी, जिनमें जम्मू-कश्मीर से बाहर के सात तीर्थयात्री शामिल थे, और जब आतंकवादियों ने बस पर गोलीबारी की तो 41 अन्य लोग घायल हो गए थे।
“यह हमला पूरे देश के लिए एक गहरा आघात था। मासूम तीर्थयात्रियों पर ऐसा बर्बर हमला मानवता के खिलाफ अपराध है,” एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने कहा। “अबू कतल जैसे आतंकवादियों का एकमात्र उद्देश्य क्षेत्र में अशांति फैलाना था।”
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर प्रभाव-
अबू कतल की हत्या भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर भी प्रभाव डाल सकती है। भारत लंबे समय से पाकिस्तान पर आतंकवादियों को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है, और इस तरह के प्रमुख आतंकवादी के पाकिस्तानी क्षेत्र में मारे जाने से यह आरोप और मजबूत होता है।
“पाकिस्तान में इस तरह के हमलों से पता चलता है कि वहां भी आंतरिक संघर्ष चल रहा है। हो सकता है कि यह किसी प्रतिद्वंद्वी आतंकी गुट का काम हो, या फिर कोई आंतरिक निपटान,” एक रक्षा विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए राहत-
अबू कतल का खात्मा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी राहत है। वह कई वर्षों से वांछित था और उसके खिलाफ कई गंभीर आरोप थे। उसकी मौत से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में कमी आने की उम्मीद है।
“हालांकि एक आतंकवादी के मारे जाने से पूरी समस्या का समाधान नहीं होता, लेकिन यह निश्चित रूप से आतंकवादी संगठन के नेटवर्क को कमजोर करता है,” एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा। “हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि ये संगठन अपने नेटवर्क को फिर से मजबूत करने की कोशिश करेंगे।”
क्षेत्र में अमन-चैन के लिए आशा-
स्थानीय लोगों ने इस खबर का स्वागत किया है। “हम शांति से रहना चाहते हैं। आतंकवाद ने हमारे जीवन को बहुत प्रभावित किया है,” जम्मू के एक स्थानीय निवासी ने कहा। “हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी कार्रवाइयां क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में एक कदम साबित होंगी।” सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब सीमा पार से होने वाली घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों पर और अधिक निगरानी रखने की आवश्यकता है। “हमें अपनी खुफिया जानकारी और सीमा सुरक्षा को और मजबूत करना होगा,” एक सेवानिवृत्त सेना अधिकारी ने सुझाव दिया।
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इस बीच, सुरक्षा बल क्षेत्र में सतर्क हैं और किसी भी प्रतिक्रियात्मक हमले से निपटने के लिए तैयार हैं। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, हमें इस तरह की घटनाओं के बाद अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि आतंकवादी संगठन बदला लेने की कोशिश कर सकते हैं। अबू कतल की मौत से यह स्पष्ट होता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई भी सुरक्षित नहीं है, चाहे वह कहीं भी छिपा हो। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की आवश्यकता है, ताकि दुनिया को इस बुराई से मुक्त किया जा सके।
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