सोमवार को केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग की नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर हो गई है। ये नए रेट्स 8 अप्रैल से लागू होंगे। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस बढ़ोतरी का असर आपकी जेब पर पड़ेगा? क्या पेट्रोल पंप पर आपको ज्यादा पैसे चुकाने होंगे? चलिए, इस खबर को थोड़ा डीकोड करते हैं और समझते हैं कि इसका आम आदमी से क्या कनेक्शन है।
एक्साइज ड्यूटी बढ़ी, लेकिन रिटेल प्राइस पर असर नहीं?
सरकार और पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि इस बढ़ोतरी से पेट्रोल-डीजल के रिटेल दामों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पेट्रोलियम मंत्रालय ने X पर साफ लिखा, “PSU ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने बताया है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के रिटेल प्राइस में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।” इंडस्ट्री सूत्रों ने भी यही बात दोहराई कि पंप पर दाम वही रहेंगे।
लेकिन ये बात थोड़ी कन्फ्यूजिंग है, है ना? एक्साइज ड्यूटी तो सरकार का टैक्स है, जो सीधे तेल की कीमत में जुड़ता है। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि टैक्स बढ़े और दाम न बढ़ें? जवाब है ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMCs) जैसे IOCL, BPCL और HPCL। ये कंपनियां अपने मार्जिन से इस बढ़ोतरी को एडजस्ट कर सकती हैं, ताकि आम लोगों को ज्यादा बोझ न उठाना पड़े। मतलब, सरकार टैक्स बढ़ाकर अपनी कमाई बढ़ाएगी, लेकिन आपकी गाड़ी का ईंधन अभी भी पुराने दाम पर मिलेगा।
क्रूड ऑयल की कीमतें गिरीं, फिर ड्यूटी क्यों बढ़ाई?
अब थोड़ा ग्लोबल सीन देखते हैं। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 34% टैरिफ लगाकर ग्लोबल ट्रेड वॉर शुरू कर दिया। इसका असर ये हुआ कि क्रूड ऑयल की कीमतें नीचे आ गईं। ऊपर से OPEC+ (ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज और उसके सहयोगी) ने मई में तेल प्रोडक्शन बढ़ाने का ऐलान किया। पहले 1.35 लाख बैरल प्रतिदिन बढ़ाने की बात थी, अब इसे 4.11 लाख बैरल प्रतिदिन कर दिया गया है।
जब क्रूड ऑयल सस्ता हो रहा है, तो सरकार को मौका मिला एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का। इसका मतलब ये है कि सरकार इस सस्ते तेल का फायदा उठाकर अपनी इनकम बढ़ा रही है, लेकिन रिटेल प्राइस को स्थिर रखकर आम जनता को राहत भी दे रही है। ये एक स्मार्ट मूव हो सकता है, लेकिन सवाल ये है कि क्या ये राहत लंबे वक्त तक चलेगी?
आम आदमी की जिंदगी पर क्या असर?
अब बात करते हैं आप और मेरे जैसे लोगों की। पेट्रोल और डीजल के दाम सीधे हमारी जिंदगी को टच करते हैं। गाड़ी चलाने से लेकर सब्जी की कीमत तक, हर चीज पर इसका असर पड़ता है। अगर रिटेल प्राइस नहीं बढ़ते, तो ये हमारे लिए अच्छी खबर है। मगर क्या ये सच में इतना सिम्पल है?
पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि जब क्रूड ऑयल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार टैक्स बढ़ाकर अपने खजाने को भरती है। लेकिन जब क्रूड की कीमतें बढ़ती हैं, तो रिटेल दाम भी आसमान छूने लगते हैं। अभी तो ऑयल कंपनियां इस 2 रुपये की बढ़ोतरी को अपने मार्जिन में एडजस्ट कर रही हैं, लेकिन अगर भविष्य में क्रूड फिर महंगा हुआ, तो क्या ये राहत बरकरार रहेगी? ये बड़ा सवाल है।
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क्या सरकार का फैसला सही है?
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये फैसला सरकार की समझदारी दिखाता है। क्रूड सस्ता है, तो टैक्स बढ़ाकर इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाना ठीक है। लेकिन कुछ लोग इसे “टैक्स की लूट” भी कह रहे हैं। उनका कहना है कि जब तेल सस्ता है, तो उसका पूरा फायदा जनता को मिलना चाहिए, न कि सरकार को।
आप क्या सोचते हैं? क्या ये पैसा सड़कों, स्कूलों और हॉस्पिटल्स में लगेगा, या फिर ये बस एक और टैक्स बोझ है, जो देर-सबेर हम तक पहुंचेगा?
क्या भविष्य में दाम बढ़ सकते हैं?
फिलहाल तो पेट्रोलियम मंत्रालय और ऑयल कंपनियों ने राहत की सांस दी है। लेकिन तेल की दुनिया में कुछ भी पक्का नहीं होता। ग्लोबल ट्रेड वॉर, OPEC+ के फैसले, और डॉलर की वैल्यू—ये सब चीजें तेल के दाम को ऊपर-नीचे कर सकती हैं। अगर क्रूड फिर से महंगा हुआ, तो ऑयल कंपनियां कितने दिन तक इस बढ़ोतरी को अपने मार्जिन में झेल पाएंगी? अगर उनका प्रॉफिट कम हुआ, तो क्या वो दाम बढ़ाने का प्रेशर नहीं डालेंगी?
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क्या कहता है आपका दिल?
तो दोस्तों, ये थी पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ने की पूरी कहानी। अभी के लिए तो आपकी गाड़ी का खर्च नहीं बढ़ेगा, लेकिन भविष्य में क्या होगा, ये वक्त ही बताएगा। सरकार का ये कदम एक तीर से दो निशाने वाला लगता है—अपनी कमाई बढ़ाओ और जनता को नाराज भी मत करो। लेकिन क्या ये बैलेंस लंबे वक्त तक चलेगा? कमेंट में अपनी राय जरूर बताएं!