भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पिछले कुछ दिनों से चरम पर था। फिर अचानक 10 मई 2025 को सीजफायर की खबर आई। सबकी नजरें अमेरिका पर थीं, लेकिन सऊदी अरब की भूमिका भी कम नहीं थी। सऊदी ने चुपके से दोनों देशों के बीच शांति की राह बनाई। आइए, इस खबर को समझें।
सऊदी अरब की भूमिका: शांति का दूत
सऊदी अरब ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर में अहम रोल निभाया। सऊदी के विदेश राज्य मंत्री आदेल अल-जुबैर ने 8-9 मई को दोनों देशों का दौरा किया। DNA India के मुताबिक, उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। इस दौरे का मकसद सीजफायर समझौता करवाना था। सऊदी ने दोनों देशों से शांति की अपील की। उनकी कोशिशों ने तनाव को कम करने में मदद की। जिस वक्त भारत पर पहलगाम आतंकी हमला हुआ तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साउदी अरब के दौरे पर ही थे।
कैसे शुरू हुआ तनाव?
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने सबको हिलाकर रख दिया। भारत ने इसके जवाब में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। The Times of India के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की। दोनों देशों के बीच ड्रोन और मिसाइल हमले बढ़ गए। इस तनाव ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया।
सऊदी अरब की भूमिका क्यों खास?
सऊदी अरब का भारत और पाकिस्तान के साथ गहरा रिश्ता है। The Hindu की रिपोर्ट कहती है कि सऊदी ने तनाव कम करने के लिए कई दिनों तक काम किया। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब को धन्यवाद दिया। उनकी मध्यस्थता ने दोनों देशों को बातचीत की मेज पर लाया। सऊदी की खामोश कूटनीति ने शांति की राह बनाई।
अमेरिका और अन्य देशों का योगदान
अमेरिका ने भी सीजफायर में बड़ा रोल निभाया। CNN के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प ने मध्यस्थता की। लेकिन भारत ने कहा कि समझौता दोनों देशों के बीच हुआ। चीन, यूके, कतर और यूएई ने भी मदद की। फिर भी, सऊदी की कोशिशों को कम नहीं आंका जा सकता। उनकी मध्यस्थता ने हालात को संभाला।
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सीजफायर के बाद क्या?
सीजफायर के बाद भी कुछ उल्लंघन की खबरें आईं। India Today ने बताया कि पाकिस्तान ने ड्रोन हमले किए। भारत ने इसका जवाब दिया। लेकिन अब शांति की उम्मीद बढ़ रही है। जम्मू-कश्मीर में लोग राहत महसूस कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “युद्ध से सिर्फ दुख मिलता है। शांति ही हमारा भविष्य है।”
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सऊदी अरब की भूमिका से सबक
सऊदी अरब की भूमिका हमें बताती है कि शांति के लिए कूटनीति कितनी जरूरी है। भारत और पाकिस्तान अब 12 मई को फिर बात करेंगे। सऊदी ने दिखाया कि दोस्ती और समझदारी से बड़े विवाद सुलझ सकते हैं। उम्मीद है, यह सीजफायर लंबे समय तक कायम रहेगा।