बलूचिस्तान ने आखिरकार अपनी आवाज बुलंद कर दी है। बुधवार को बलूच नेता मीर यार बलूच ने पाकिस्तान से आजादी का एलान किया। उन्होंने साफ कहा, “बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है।” दशकों से बलूच लोग पाकिस्तानी सेना के दमन और मानवाधिकार हनन का शिकार रहे हैं। इस घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर #बलूचिस्तान_आजादी ट्रेंड करने लगा। लोग सड़कों पर उतर आए, अपने झंडे लहराने लगे। लेकिन सवाल ये है, क्या ये आजादी का सपना हकीकत बनेगा?
भारत से क्यों मांगा समर्थन?
मीर यार बलूच ने भारत से दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत का साथ बलूचिस्तान की आजादी के लिए गेम-चेंजर हो सकता है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने भी भारत से सैन्य और कूटनीतिक मदद मांगी। BLA का कहना है, “पाकिस्तान आतंक का अड्डा है।” हाल ही में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। ऐसे में बलूचों को भारत से उम्मीद है। लेकिन भारत क्या इस जटिल मुद्दे में कूदेगा?
बलूचिस्तान का दर्द: मानवाधिकारों का हनन
बलूचिस्तान के लोग लंबे समय से दर्द झेल रहे हैं। पाकिस्तानी सेना पर जबरन गायब करने और हत्याओं के आरोप हैं। मीर यार बलूच ने बताया कि सैकड़ों बलूचों को मारकर सामूहिक कब्रों में दफनाया गया। ग्वादर पोर्ट जैसी परियोजनाओं से बलूचों को कोई फायदा नहीं मिला। बलूच लिबरेशन आर्मी ने हाल ही में 39 सैन्य ठिकानों पर हमले किए। इन हमलों में पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हुआ। BLA के प्रवक्ता जियांद बलूत ने कहा, “हमारी लड़ाई आजादी के लिए है।” क्या ये आंदोलन बलूचिस्तान को आजादी दिलाएगा?
भारत का रुख क्या है?
भारत ने पहले भी बलूचिस्तान के मुद्दे पर चिंता जताई है। 2016 में पीएम मोदी ने लाल किले से बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन का जिक्र किया था। लेकिन बलूचिस्तान आजादी को खुला समर्थन देना भारत के लिए आसान नहीं। पाकिस्तान इसे भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। फिर भी, सोशल मीडिया पर भारतीय यूजर्स बलूचों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं। #भारत_समर्थन हैशटैग के साथ लोग बलूचों की हिम्मत की तारीफ कर रहे हैं। क्या भारत इस बार कोई बड़ा कदम उठाएगा?
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बलूचिस्तान का भविष्य: आजादी या संघर्ष?
बलूचिस्तान आजादी की राह पर चल पड़ा है, लेकिन रास्ता आसान नहीं। पाकिस्तान इसे अपना हिस्सा मानता है और कभी छोड़ना नहीं चाहेगा। बलूचिस्तान पाकिस्तान का 44% हिस्सा है और यहां सोना, तांबा जैसे संसाधन प्रचुर हैं। फिर भी, बलूचों का कहना है कि उन्हें सिर्फ शोषण मिला। संयुक्त राष्ट्र से भी बलूचों ने मान्यता और शांति मिशन की मांग की है। लेकिन बिना अंतरराष्ट्रीय समर्थन के आजादी मुश्किल है। क्या बलूचों का ये सपना पूरा होगा?
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बलूचों की आवाज: दुनिया सुनेगी?
बलूचिस्तान की आजादी का एलान सिर्फ एक घोषणा नहीं, बल्कि एक पीढ़ी का दर्द है। बलूच लोग अब चुप नहीं रहेंगे। सोशल मीडिया पर उनकी आवाज गूंज रही है। मीर यार बलूच ने कहा, “दुनिया अब मूकदर्शक नहीं रह सकती।” भारत, ईरान, और अन्य देशों से उन्हें उम्मीद है। लेकिन क्या वैश्विक समुदाय इस मुद्दे को गंभीरता से लेगा? बलूचिस्तान की इस जंग में अगला कदम क्या होगा, ये वक्त बताएगा।