शादी को यादगार बनाने के लिए लोग अब पारंपरिक विवाह स्थलों से हटकर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखने वाली जगहों की ओर रुख कर रहे हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर ऐसा ही एक पवित्र स्थल है, जो अब डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्त्व
त्रियुगीनारायण वही स्थान है जहां भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हिन्दू मान्यताओं में विवाह की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार, यहाँ आज भी त्रेता युग से अखंड धूनी जल रही है, जिसकी राख को शुभ माना जाता है और श्रद्धालु इसे घर ले जाते हैं।
चार पवित्र कुंडों की महिमा
मंदिर के पास स्थित चार पवित्र कुंड – विष्णु कुंड, ब्रह्म कुंड, सरस्वती कुंड और रूद्र कुंड – को अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से विवाह और संतान की बाधाएं दूर होती हैं। ये कुंड श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बड़ा केंद्र हैं।
डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में उभरता स्थल
2018 के बाद से त्रियुगीनारायण में शादियों की संख्या में लगातार इज़ाफा हुआ है।
- 2021 में: 51 शादियाँ
- 2022 में: 101 शादियाँ
- 2023 में: 124 शादियाँ
- 2024 में: 152 शादियाँ
- 2025 (अब तक): 82 शादियाँ
यह बढ़ती लोकप्रियता इस स्थान की आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य दोनों का प्रमाण है।
शादी की प्रक्रिया और सुविधाएं
यह मंदिर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के अधीन आता है, लेकिन शादी की व्यवस्थाएं स्थानीय तीर्थ पुरोहितों द्वारा की जाती हैं।
- बुकिंग शुल्क: ₹1100
- शादी के बाद प्रमाण पत्र शुल्क: ₹1100
- आवश्यक दस्तावेज़: पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड)
स्थानीय महिलाएं और पुरोहित मिलकर विवाह की पूरी प्रक्रिया को पारंपरिक तरीके से संपन्न कराते हैं — मंडप से लेकर विदाई तक की व्यवस्था वे संभालते हैं।
केदारनाथ से निकट संबंध
त्रियुगीनारायण मंदिर केदारनाथ से मात्र 5 किमी दूर है। जिस गौरीकुंड में माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी, वहीँ से होकर श्रद्धालु केदारनाथ जाते हैं। यह क्षेत्र शिव-पार्वती के विवाह से लेकर तपस्या तक की पूरी कथा को जीवंत करता है।