भारत का गोवा सिर्फ समुद्र तटों, पार्टियों और पुर्तगाली विरासत के लिए ही नहीं, बल्कि अपने अनोखे और रहस्यमयी स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक स्थान है ‘साइलेंट चर्च’, जहां की घंटियाँ कभी नहीं बजतीं। लेकिन इस खामोशी के पीछे छिपी है एक अनोखी और आध्यात्मिक मान्यता।
रहस्यपूर्ण घंटियाँ
साइलेंट चर्च में लगी हुई घंटियाँ सामान्य चर्चों की तरह बड़ी और भव्य हैं। इन्हें देखकर कोई भी सोच सकता है कि ये ज़रूर एक ज़ोरदार आवाज़ करती होंगी। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इनसे कभी कोई आवाज़ नहीं आती। इन्हें कितनी भी जोर से हिलाया जाए, ये मौन ही रहती हैं।
स्थानीय मान्यता
स्थानीय लोगों की मानें तो यह कोई तकनीकी खामी नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संकेत है। मान्यता है कि ये घंटियाँ तभी आवाज़ करेंगी जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से प्रार्थना करेगा और उसका हृदय पापों से पूरी तरह शुद्ध होगा। तब ये घंटियाँ स्वयं बज उठेंगी — न किसी मानव बल से, न किसी उपकरण से।
पर्यटन और श्रद्धा
यह चर्च ना केवल एक आध्यात्मिक स्थल है बल्कि एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी बन चुका है। पर्यटक यहां घंटियों की रहस्यमयी चुप्पी को महसूस करने आते हैं और सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं, यह सोचते हुए कि शायद उनके स्पर्श से ये घंटियाँ बोल उठें।
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आध्यात्मिक अनुभव
इस चर्च में कदम रखते ही एक शांत वातावरण का अनुभव होता है। ऐसा लगता है जैसे हर दीवार, हर घंटी, हर कोना कोई रहस्य कह रहा हो। यहां का वातावरण आत्मचिंतन और प्रार्थना के लिए सबसे उपयुक्त है।