कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS ने पहली बार स्पष्ट किया है कि खालिस्तानी चरमपंथी संगठन कनाडा की धरती पर सक्रिय हैं। वे भारत विरोधी हिंसा की योजना बना रहे हैं, धन जुटा रहे हैं और भारत में ‘खालिस्तान’ के नाम पर अलगाववाद का प्रचार फैला रहे हैं।
भारत-कनाडा रिश्तों पर असर
यह खुलासा ऐसे समय में आया है जब G7 समिट में कैनेडाई पीएम मार्क कार्नी और भारत के पीएम मोदी ने वापस राजनयिक संबंध बहाल करने की सहमति जताई थी ।इसके बावजूद CSIS की रिपोर्ट ने दोनों देशों के बीच तनाव की जड़ को उजागर कर दिया है।
विदेशी दखल और राष्ट्र‑सुरक्षा
CSIS रिपोर्ट में यह भी संकेत मिला है कि भारत सहित अन्य देश राजनैतिक दखल दीक्षा में संलिप्त हैं। खासकर खालिस्तानी मुद्दे पर प्रभाव बढ़ाने के लिए समुदायों और राजनेताओं को प्रभावित किया जा रहा है ।
दोहरी चिंता
•कनाडा अब दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है: अपनी जलवायु अल्पसंख्यकों की स्वतंत्रता, और चरमपंथी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी।
•CSIS की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही हिंसा सीधे कनाडा में नहीं हुई, लेकिन यही धरातल खालिस्तानी चरमपंथियों की राजनीतिक और वित्तीय गतिविधियों के लिए प्रयोग किया जा रहा है ।
•इससे कनाडा के आतंरिक सुरक्षा ढांचे पर भरोसा करने की क्षमता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रवासी भारतीयों के लिए बढ़ती चिंता
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद प्रवासी भारतीय समुदाय, खासकर सिखों के बीच चिंता का माहौल है। वे अब एक दुविधा में हैं—एक ओर अपनी धार्मिक और राजनीतिक पहचान, दूसरी ओर चरमपंथ से जुड़ी छवि का डर। कई शांतिप्रिय सिख नागरिक अब खुद को अलगाववादी विचारधारा से अलग कर, अपनी सामाजिक भूमिका को साफ करना चाहते हैं। यह स्थिति प्रवासी भारतीयों के सामाजिक ताने-बाने और वैश्विक छवि पर असर डाल सकती है।
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