चुनावी मौसम के चलते अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक बड़ा झटका लगा है। देश का औद्योगिक उत्पादन फरवरी में महज 0.10 फीसदी दर्ज किया गया, जोकि 20 माह में सबसे कम है। वहीं खुदरा महंगाई दर में भी बढ़ोतरी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मार्च महीने में खुदरा महंगाई बढ़कर 2.86 फीसदी रही। इससे पहले फरवरी महीने में खुदरा महंगाई (CPI) दर बढ़कर 2.57 फीसदी थी।
खबरों के अनुसार, एक्सपर्ट्स का कहना है कि कई सेक्टर्स में उत्पादन घटने से औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। बता दें कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में खास महत्व होता है। इससे पता चलता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक वृद्धि किस गति से हो रही है। आईआईपी के अनुमान के लिए 15 एजेंसियों से आंकड़े जुटाए जाते हैं। इनमें डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस, सेंट्रल स्टेटिस्टिकल आर्गेनाइजेशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी शामिल हैं।
इस इंडेक्स में शामिल वस्तुओं को तीन समूहों-माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी में बांटा जाता है। फिर इन्हें बेसिक गुड्स, कैपिटल गुड्स, इंटरमीडिएट गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स जैसी उप-श्रेणियों में बांटा जाता है।
वही, खबरों की माने तो मार्केट एक्सपर्ट्स अजय बग्गा का कहना है कि आईआईपी ग्रोथ के गिरने का अनुमान पहले से था। लेकिन ये नंबर्स अनुमान से बेहद कम है। ऑटो सेल्स में आई गिरावट का असर भी इन आंकड़ों पर है। नई सरकार के आने के बाद पॉलिसी पर फिर से काम शुरू होगा। लिहाजा ग्रोथ नंबर्स अगले कुछ महीनों तक ऐसे ही रहने की आशंका है। हालांकि, आरबीआई ब्याज दरें कम कर इसे सहारा दे सकता है। इन कमजोर आंकड़ों के बाद शेयर बाजार में गिरावट की आशंका बनी हुई है। लिहाजा शेयर बाजार और म्युचूअल फंड्स के रिटर्न पर इसका असर होगा।