अजय चौधरी
ये ऐतिहासिक है कि देश के तमाम कोनों से न्याय मांगने आए लोगों पर लाठी भांजने वाली पुलिस आज अपनी न्याय की मांग को लेकर सडक जाम किए है।
दिल्ली पुलिस का सडक पर उतरकर न्याय मांगना ऐतिहासिक है, पुलिस जवान चाहते हैं कि उनके कमिश्नर उनके साथ आकर खडे हों। लेकिन कमिश्नर सब बंद कमरे में चाहते हैं, जवान चाहते हैं कि वो सडक पर आएं और गृह मंत्री के सामने उनकी मांग रखें। पुलिसकर्मी चाहते हैं कि उन्हें पीटने वाले वकीलों के लाईसेंस रद्द हों और ससपेंड किए गए पुलिसकर्मियों की वापसी चाहते हैं।
सरकारी नौकरी में गैर ठेका कर्मचारियों का ये अपनी तरह का पहला प्रदर्शन है। दिल्ली पुलिस ने ऐसा प्रदर्शन कर हिम्मत दिखाई है। सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले अन्य कर्मचारी भी अब दिल्ली पुलिस से सीख लेकर अपनी समस्याओं को लेकर सडकों पर आ सकते हैं। सरकारी नौकरी जाने का डर लोगों को ऐसा करने की हिम्मत नहीं देता और वो खुलकर कभी मीडिया के सामने या फिर सोशल मीडिया पर अपनी समस्या नहीं रख पाते।
पुलिस पर जुल्म के बैनर लिए सडकों पर उतरे जवानों को देखना आम लोगों के लिए बहुत अजीब पल है। जो उन्हें सडक पर जमा नहीं होने देते, धारा 144 लगा देते हैं, डंडे बरसाते हैं, आंसु गैस के गोले छोडते हैं, वाटर केनन से पानी डालते हैं और हिरासत में ले उठा ले जाते हैं। आज वो खुद सडक पर जमा हैं। इनपर धारा 144 कौन लगाए और कौन उन्हें हिरासत में ले।
वकीलों को लगता है कि वो कानून से ऊपर हैं और सुनवाई उन्हें ही करवानी है
दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय में अपने जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि ये परीक्षा की घडी है और हमारे लिए प्रतिक्षा की घडी है क्योंकि जांच चल रही है। लेकिन जवान हैं कि वो प्रतिक्षा नहीं करना चाहते और तुरंत इंसाफ चाहते हैं। इसलिए पुलिस कमिश्नर के संबोधन के दौरान वो हुटिंग करते रहे। कमिश्नर उन्हें ड्यूटी पाईंट्स पर वापस जाने की गुहार लगा रहे हैं।