Solar System: वैज्ञानिकों के एक नए अध्ययन ने सौर मंडल के इतिहास में एक रोचक मोड़ का खुलासा किया है। शोध से पता चलता है, कि अरबों साल पहले एक ग्रह के आकार की विशाल वस्तु हमारे सौर मंडल से होकर गुजरी होगी, जिसने बाहरी ग्रहों की कक्षाओं को स्थायी रूप से बदल दिया।
क्या थी वह रहस्यमय वस्तु?(Solar System)
वैज्ञानिकों का मानना है, कि यह एक ब्राउन ड्वार्फ हो सकता है, जिसने बृहस्पति, शनि, अरुण (यूरेनस) और वरुण (नेप्च्यून) जैसे विशाल ग्रहों की कक्षाओं को प्रभावित किया। यह खोज इस बात पर नया प्रकाश डालती है, कि इन ग्रहों की कक्षाएं झुकी हुई क्यों हैं और पूरी तरह से गोलाकार क्यों नहीं हैं।
पुराना पज़ल, नया समाधान(Solar System)-
वर्षों से वैज्ञानिक इस बात से परेशान थे, कि ग्रहों की कक्षाएं अपेक्षित पथ का अनुसरण क्यों नहीं करतीं। ज्यादातर मॉडल बताते हैं, कि कक्षाओं को गोलाकार और संरेखित होना चाहिए। लेकिन हर ग्रह थोड़ा अलग व्यवहार करता है, खासकर बाहरी विशालकाय ग्रह। अब तक वैज्ञानिक मानते थे, कि ग्रहों के बीच की अंतःक्रिया ने उनके पथ को बदला होगा, लेकिन यह व्याख्या पूरी तरह से संतोषजनक नहीं थी।
नया रिसर्च, नई थ्योरी-
नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक नया सिद्धांत प्रस्तावित किया। उन्होंने 50,000 सिमुलेशन चलाए, जिनमें एक संभावित आगंतुक के विभिन्न पैरामीटर को बदला गया। टीम ने बृहस्पति जितने छोटे से लेकर ब्राउन ड्वार्फ जितने बड़े वस्तुओं का अध्ययन किया।
चौंकाने वाले परिणाम-
सिमुलेशन से पता चला, कि लगभग 1% मामलों में आगंतुक का फ्लाईबाई सौर मंडल की वर्तमान स्थिति से मेल खाता है। ये वस्तुएं, जो बृहस्पति के द्रव्यमान से 2 से 50 गुना बड़ी थीं, सूर्य के बहुत करीब से गुजरीं। कुछ तो मंगल की कक्षा के पास, सूर्य से महज 1.69 AU की दूरी तक आ गईं।
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सबस्टेलर वस्तुओं का गुजरना दुर्लभ-
यह शोध सुझाता है, कि ऐसी सबस्टेलर वस्तुओं का गुजरना दुर्लभ नहीं हो सकता। असल में ऐसी वस्तुएं अक्सर सौर मंडल से होकर गुजर सकती हैं। यह नया सिद्धांत वैज्ञानिकों को सौर मंडल के ग्रहों के निर्माण को समझने में मदद कर सकता है। हालांकि इस अध्ययन की अभी पीयर रिव्यू होनी बाकी है, लेकिन यह एक नया नजरिया प्रदान करता है। ये निष्कर्ष सौर मंडल के विकास के बारे में हमारी समझ को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं। आने वाले समय में और भी रोचक खोज सामने आ सकती हैं।
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