Climate Change: भारत में जलवायु परिवर्तन का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। जनवरी 2024 के आंकड़े हमारे मौसम में आ रहे नाटकीय बदलावों की कहानी कह रहे हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के नवीनतम अध्ययन ने एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है।
Climate Change असामान्य तापमान-
जनवरी 2024 भारत के इतिहास में तीसरा सबसे गर्म महीना साबित हुआ, जिसमें औसत तापमान 18.9°C रहा। यह न केवल गर्म था, बल्कि 1901 के बाद से चौथा सबसे शुष्क सर्दी का महीना भी था। पारंपरिक मौसम पैटर्न पूरी तरह से बदल रहे हैं।
Climate Change वसंत ऋतु का अंत?
भारतीय स्कूल ऑफ बिजनेस के प्रोफेसर अंजल प्रकाश, जो IPCC के लेखक भी हैं, का कहना है कि वसंत ऋतु खतरे में है। “हमारी पारंपरिक वसंत, जो नवीनीकरण और कृषि की जीवंतता का प्रतीक थी, अब संकट में दिख रही है,” उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया।
Climate Change हिमालय पर गहरा असर-
हिमालयी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। श्रीनगर के क्षेत्रीय मौसम केंद्र के निदेशक मुख्तार अहमद ने बताया कि सर्दियां, जो पारंपरिक रूप से अक्टूबर से मार्च तक चलती थीं, अब सिर्फ दिसंबर और जनवरी तक सीमित हो गई हैं।
वर्षा में भारी गिरावट-
उत्तराखंड में वर्षा में 86% की कमी आई है, जबकि जम्मू-कश्मीर में 80% और हिमाचल प्रदेश में 73% की कमी दर्ज की गई। मध्य भारत में जनवरी में 96% वर्षा की कमी एक चौंकाने वाला तथ्य है।
विशेषज्ञों की चेतावनी-
महेश पलावत, स्काईमेट के मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के उपाध्यक्ष का कहना है कि हम शायद पूरी तरह से वसंत ऋतु को खो सकते हैं। कमजोर पश्चिमी विक्षोभ और गर्म हवाओं ने ठंडी हवाओं को रोक दिया है।
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वैश्विक परिप्रेक्ष्य-
विश्व मौसम संगठन ने 2024 को अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित कर दिया है, जहां तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.55°C अधिक है।
समाधान की ज़रुरत-
प्रोफेसर प्रकाश का कहना है कि यह बदलाव केवल जलवायु तक सीमित नहीं है। कृषि, जैव विविधता और सांस्कृतिक परंपराएं सभी खतरे में हैं। तत्काल और समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है।
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