दुनियाभर में सोशल मीडिया साइट्स यानी फेसबुक, व्हाट्स एप या टिक टॉक आदि पर फैलने वाली फेक न्यूज एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। इसी समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फेक खबरों को ट्रैक करने के लिए केंद्र सरकार को गाइडलाइंस बनाने का आदेश दिया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज, अफवाह और अभद्र कंटेंट की समस्या केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैली हुई है। सोशल मीडिया पर इस तरह के कंटेंट की वजह से भारत के कई क्षेत्रों में जानलेवा हमले और ऐसी ही खतरनाक घटना होती हैं। क्या आप जानते हैं कि भारत के अलावा अन्य देश फेक न्यूज की इस समस्या पर किस तरह काम कर रहे हैं।
मलेशिया में बना सबसे पहले कानून
मलेशिया में सबसे पहले पिछले साल फेक न्यूज पर कानून बनाया गया। मलेशिया में रहने वाला कोई भी व्यक्ति यदि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ फैलाता है तो उसपर 5,00,000 मलेशियाई रिंगिट (85 लाख रुपये) का जुर्माना या 6 साल तक की जेल हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया ने भी सोशल मीडिया को लेकर इसी साल एक कानून पास किया था। इस कानून के तहत सोशल मीडिया से आतंकवाद, मर्डर, रेप या किसी दूसरे गंभीर अपराध से जुड़ा कंटेंट हटाने में नाकाम रहने पर कंपनी के टर्नओवर का 10 फीसदी तक जुर्माना और उसके एग्जिक्यूटिव को 3 साल तक की जेल हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया में संबंधित कानून से जुड़े नियमों का पालन न करने पर आम लोगों को 1,68,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (करीब 80 लाख रुपये) और कंपनियों को 4 करोड़ रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है।
रूस
वहीं, रूस ने इसी साल मार्च में फेक न्यूज को रोकने के लिए कानून बनाया है, जिसमें राज्य के खिलाफ या उसकी छवि खराब करने वाली कोई भी फेक न्यूज या झूठी सूचना फैलाने वाले व्यक्ति अथवा कंपनियों के खिलाफ सख्त सजा का कानून है। वहीं, अगर कोई पब्लिकेशन फेक न्यूज फैलाता है तो उस पर 15 लाख रूबल (16.57 लाख रुपये) तक का जुर्माना लग सकता है।
इसके अलावा, रूस के सिम्बल और अथॉरिटी की छवि खराब करने वाली फेक न्यूज फैलाने पर 3,00,000 रूबल (3.31 लाख रुपये) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। दोबारा ऐसा करने पर जुर्माने के साथ 15 दिन की जेल भी हो सकती है।
फ्रांस में ऑफ एयर होने का प्रावधान
साल 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल से जुड़े आरोपों के बाद फ्रांस ने पिछले साल अक्टूबर में दो एंटी-फेक न्यूज लॉ बनाये हैं। यह कानून फ्रेंच ब्रॉडकास्टिंग अथॉरिटी को झूठी खबरें फैलाने वाले किसी भी नेटवर्क को ऑफ एयर करने का अधिकार देता है।
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जर्मनी में करोडों का जुर्माना
जर्मनी में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ फ़ैलाने पर नेटवर्क इन्फोर्समेंट एक्ट या नेट्जडीजी (NetzDG) कानून के तहत दोषी पाया जाता है। ये कानून जर्मनी की सभी कंपनियों और वहां रजिस्टर्ड सोशल मीडिया यूजर्स पर लागू होता है।
इस कानून में कंपनियों को 24 घंटे में ही फेक न्यूज से जुड़ी शिकायतों की समीक्षा करनी पड़ती है। इसी अवधि में आपत्तिजनक कंटेंट हटाना पड़ता है। अगर किसी ने नियमों का पालन नहीं किया तो आम लोगों को 5 मिलियन यूरो (करीब 40 करोड़ रुपये) और कंपनियों को 50 मिलियन यूरो (करीब 400 करोड़ रुपये) की पेनाल्टी देनी पड़ सकती है।
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सिंगापुर
सिंगापुर के ड्राफ्ट लॉ में सार्वजनिक हितों को नुकसान पहुंचाने वाली झूठी खबर ऑनलाइन फैलाने वाले व्यक्ति को 10 साल तक की जेल हो सकती है। अगर सोशल मीडिया साइट ऐसे कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती तो उसे 1 मिलियन सिंगापुर डॉलर (करीब 5 करोड़ रुपये) तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
आम व्यक्ति को भी सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट बदलने और हटाने के लिए कहा जा सकता है। नियमों के उल्लंघन पर आम व्यक्ति को 20,000 सिंगापुर डॉलर (करीब 10 लाख रुपये) का जुर्माना देना पड़ सकता है और 12 महीने तक की जेल हो सकती है।
चीन
चीन ने ट्विटर, गूगल और व्हाट्स एप जैसी ज्यादातर सोशल मीडिया साइट और इंटरनेट सर्विस पर रोक लगा रही है। चीन में हजारों साइबर पुलिस अधिकारी हैं जो सोशल मीडिया को मॉनिटर और कंटेंट की स्क्रीनिंग करते हैं।