महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिव सेना के मुखपत्र सामना के संपादक के रुप में कार्यभार संभाल लिया है। बीते हफ्ते शिवसेना के सासंद संजय राउत के भूमि घोटाले मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार करने के बाद उद्धव ने ये निर्णय लिया है। उद्धव अब सामना के मुख्य संपादक होंगे वहीं संजय राउत अभी कार्यकारी संपादक बने रहेंगे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद दिया था इस्तीफा-
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के बाद सामना के मुख्य संपादक के पद से इस्तीफा दे दिया था तब उनकी पत्नी रश्मी ने मार्च 2020 में उनका ये कार्यभार संभाला था। माना जा रहा है कि सामना में उद्धव की वापसी के बाद एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
राउत की गिरफ्तारी के बाद लिया फैसला ?
सामना दैनिक अखबार के रुप में मराठी और हिंदी में प्रकाशित होता है। उद्धव की सामना में वापसी उस समय हुई है जब राउत ईडी की हिरासत में है, ऐसे में माना जा रहा है कि उद्धव सामना में भाजपा और अपने अन्य विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं।
अब कौन लिखेगा रोकठोक कॉलम-
संजय राउत सामना में संपादकीय और रविवार को आने वाला कॉलम रोकठोक लिखा करते थे। संपादकीय की संभावना है कि अब उद्धव ही लिखे लेकिन रोकठोक को लेकर अभी असमंजस बना हुआ है कि उसे कौन लिखेगा। शिवसेना अबतक बहुत सारे मुद्दों पर अपना पार्टी विचार सामने लागने के लिए सामना का इस्तेमाल करती आई है। वो बीते कुछ सालों से बीजेपी की आलोचना भी करती आई है।
क्या सामना में अब बीजेपी पर खुलकर होगा हमला?
महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे और उद्धव सरकार गिरने तक जो उथल-पुथल हुआ है, क्या ये सब मुद्दे अब सामना में खुलकर सामने आ पाएंगे? ये अब देखना होगा। क्योंकि शिवसेना इससे पहले भी बीजेपी के खिलाफ सामना में लिखती आई है।
सामना के आज के अंक की बात करें तो उसमें एनसीपी नेता जितेंद्र अहवाद के जन्मदिन की बधाई विज्ञापन के रुप में दी गई है। उस विज्ञापन का शीर्षक में लिखा गया है- ‘वफादारी का दूसरा नाम अहवाद’, जिससे साफ है कि शिवसेना अहवाद को वफादार बताकर अपने बागी विधायकों पर ताना दे रही है कि आपने हमें धोखा दिया है।
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