किरण शर्मा
असम में बाल विवाह कानून के खिलाफ जबरदस्त कार्यवाही चल रही है, जिसको लेकर चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। समय ऐसा है, कि पता नहीं कब किसके घर से किसको गिरफ्तार कर लिया जाए। इस अभियन की वजह कई लोग अपना घर-बार छोड़कर फरार गए हैं। कुछ दिन पहले ही असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बाल विवाह पर सख्त कदम उठाने की बात कही थी। अब उसका असर पूरे असम में देखने को मिल रहा है। पूरे राज्य में अबतक 4,074 केस दर्ज हो चुके हैं और अभी भी कार्यवाही जारी हैं। इस अभियान के तहत नाबालिक लड़कियों की शादी कराने वाले लोगों के अलावा उनसे शादी करने वाले पुरुषों के साथ-साथ पंडितों और मौलवियों को भी गिरफ्तार किया जा रहा है।
असम पुलिस ने अब तक ऐसे 1,800 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
दोषियों को दी जाएगी सजा-
बाल विवाह कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। सरकार के अनुसार 14 से 18 साल की लड़कियों से विवाह करने वालों के खिलाफ बाल विवाह रोकधाम अधिनियम, 2006 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और दंड दिया जाएगा।
वहीं अगर लड़के की उम्र 14 साल से कम होगी तो उसे सुधार गृह भेजा जाएगा।
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विपक्षियों ने हिमंता सरकार को घेरा-
बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान को लेकर सियासी दांव-पेच भी चालू हो गए हैं। तमाम विपक्षी नेता असम सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस ने भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार पर बाल अधिकारों की रक्षा करने वाली एजेंसियों की विफलता पर सवाल उठाए है। इसके अलावा ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने असम सरकार पर आरोप लगाया है, कि सरकार आवश्यक नियम बनाए बिना बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA) के प्रावधानों के तहत बाल विवाह पर कार्यवाही कर रही है। सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद शुक्रवार से असम पुलिस ने कार्यवाही करते हुए अबतक 4,074 से अधिक मामले दर्ज कर लिए हैं और 2,258 दोषियों को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का कहना है, कि यह अभियान 2026 विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। इस तरह असम में अवैध बाल विवाह करने और कराने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
क्या कहा एआईयूडीएफ (AIUDF) के महासचिव ने-
असम सरकार के इस फैसले पर एआईयूडीएफ (AIUDF) के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने दावा करते हुए कहा, कि (पीसीएमए) को लागू करने के नियम राज्य सरकार के द्वारा नहीं बनाए गए हैं। उन्होंने सवाल उठाए कि 2007 से 2014 राज्य कांग्रेस शासन के अधीन था और उसके बाद भाजपा के अधीन रहा.. उस समय की सरकार ने नियम क्यों नहीं बनाए?
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