किरण शर्मा
बीजेपी के द्वारा भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाने की बात को बड़ी मजबूती से कहा गया था लेकिन अब धीरे-धीरे खुद बीजेपी के सहयोगी दल ही पार्टी का साथ छोड़ते नजर आ रहे हैं। एक के बाद एक बीजेपी सहयोगी दल देश में यूसीसी (UCC) के विरोध में शामिल होते जा रहे हैं अब तमिलनाडु से बीजेपी के गठबंधन सहयोगी पीएमके (PMK) का भी बयान सामने आया है। पीएमके के अनुसार, यूसीसी देश की राष्ट्रीय एकता और विकास के खिलाफ है। इस विषय पर पीएमके अध्यक्ष
डॉ. अंबूमणि ने 22वें कानून आयोग के अध्यक्ष को पत्र के जरिए बताया, कि आखिर उनकी पार्टी यूसीसी का विरोध क्यों कर रही है।
तमाम सहयोगी दल कर रहें यूसीसी का विरोध-
1- UCC के लिए संविधान में नहीं
करने देंगे संशोधन-
पिछले दिनों यूसीसी पर ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र
कषगम (AIADMK) के चीफ के. पलानीस्वामी ने कहा था, कि 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए जारी घोषणापत्र में हमारी पार्टी के द्वारा रुख पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था। तमिलनाडु के पूर्व सीएम रहे
पलानीस्वामी ने जिला सचिवों की बैठक में मीडिया से कहा था,
कि एक बार हमारा घोषणापत्र पढ़ें, जिसमें साफ तौर पर धर्मनिरपेक्षता को उच्च स्थान दिया गया है। पार्टी के द्वारा 2019 में यह कहा गया था, कि अन्नाद्रमुक भारत सरकार से समान नागरिक संहिता के लिए संविधान में किसी प्रकार का कोई भी संशोधन ना करने की मांग करेगी क्योंकि ऐसा करना भारत में रह रहें अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
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2- हमारी संस्कृति के खिलाफ है
UCC- मेघालय मुख्यमंत्री
पूर्वोत्तर की ओर से बीजेपी के सहयोगी दल नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के चीफ और मेघालय के सीएम कॉनरोड संगमा ने यूसीसी (UCC) पर 30 जून को कहा, कि समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है। भारत एक विविधापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। उन्होंने कहा, कि हम लंबे समय से मेघालय में जिस संस्कृति का अनुसरण कर रहे हैं उसे बदला नहीं जा सकता। ठीक इसी तरह पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम नहीं चाहेंगे, कि हमारी संस्कृति को छुआ जाए।
3- आदिवासियों की आजादी पर पड़ेगा प्रभाव-
नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) जोकि नागालैंड से बीजेपी की सहयोगी है उसने भी यूसीसी का विरोध किया है।
एनडीपीपी ने कहा, कि कानून बनाने से भारत के अल्पसंख्यक समुदाय और आदिवासी लोगों की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। देश में इस कानून के लागू होने के बाद बुरे नतीजे आना तय है। इस नए कानून के आने के बाद लोगों के व्यक्तिगत कानूनों पर असर पड़ेगा और देश में बना हुआ शांतिपूर्ण माहौल खतरे में पड़ सकता है।
इसके अलावा पंजाब से बीजेपी के सहयोगी शिरोमणि अकाली दल भी यूसीसी का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा, कि बीजेपी बिना कोई मसौदा सामने रखें, लॉ कमीशन के द्वारा धार्मिक संस्थाओं से यूसीसी पर सलाह कैसे मांग सकती है?
28 जुलाई तक बढ़ाई विधि आयोग ने समय सीमा-
विधि आयोग के द्वारा यूसीसी पर प्रतिक्रियाएं आमंत्रित करने की समय सीमा को 28 जुलाई तक बढ़ाया गया है। आयोग ने नोटिस जारी करते हुए कहा, कि सुझावों की समय सीमा को 2 सप्ताह और बढ़ा दिया गया है।
आयोग के द्वारा 14 जून को प्रतिक्रियाएं आमंत्रित की गई थी।
जिसे शुक्रवार को एक महीना हो गया है जिसके बाद अब इसे और बढ़ाया गया है।
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