भले ही आज का पढा लिखा समाज हिंदी को इतनी तवज्जो न देता हो, जिस कारण हिंदी के भविष्य को लेकर विशेषज्ञ चिंतित भी हैं। मगर असल में विश्वभर में हिंदी बोलने वालों की संख्या में लगातार बढोतरी हो रही है। अखबार दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक 2015 के आंकडों के अनुसार हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।
अखबार की मानें तो 2005 में दुनिया के 160 देशों में हिंदी बोलने वालों की अनुमानित संख्या एक अरब दस करोड लोगों से अधिक थी। उस समय चीन की मंदारिन भाषा बोलने वालों की संख्या इससे कुछ अधिक थी। लेकिन 2015 में दुनिया के सभी 206 देशों में करीब एक अरब तीस करोड़ लोग हिंदी बोल रहे हैं। अब हिंदी बोलने वालों की संख्या दुनिया में सबसे अधिक हो चुकी है
तेजी से हिंदी सीखने वाले देशों में चीन सबसे आगे है। फिलहाल चीन के 20 विश्र्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। 2020 तक वहां हिंदी पढ़ाने वाले विश्र्वविद्यालयों की संख्या 50 तक पहुंच जाने की उम्मीद है। यहां तक कि चीन ने अपने 10 लाख सैनिकों को भी हिंदी सिखा रखी है। उपाध्याय के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ी भारत की साख के कारण भी दुनिया के लोगों की हिंदी और हिंदुस्तान में रुचि बढ़ाई है।
देश में 78 फीसद लोग बोलते हैं, हिंदी के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा चीन की मंदारिन है। लेकिन मंदारिन बोलने वालों की संख्या चीन में ही भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या से काफी कम है। चीनी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल 70 फीसद चीनी ही मंदारिन बोलते हैं। जबकि भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 78 फीसद है। दुनिया में 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है। जबकि 20 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा, एवं 44 करोड़ लोगों की तीसरी, चौथी या पांचवीं भाषा हिंदी है।
भारत के अलावा मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गयाना, ट्रिनिडाड और टोबैगो आदि देशों में हिंदी बहुप्रयुक्त भाषा है। भारत के बाहर फिजी ऐसा देश है, जहां हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी को वहां की संसद में प्रयुक्त करने की मान्यता प्राप्त है। मॉरीशस में तो बाकायदा ‘विश्र्व हिंदी सचिवालय’ की स्थापना हुई है, जिसका उद्देश्य ही हिंदी को विश्र्वस्तर पर प्रतिष्ठित करना है।