पानीपत के रहने वाले मोहित अहलावत ने मंगलवार को टी-20 में महज 72 गेंदों में 300 रन बनाकर ऐसा इतिहास रचा जो हर किसी के लिए मुमकिन नहीं है।
पानीपत के न्यू प्रकाश में रह रहे मोहित के पिता पवन अहलावत ने बताया कि उन्हें क्रिकेट खेलने का जूनून था। स्कूल स्टेट क्रिकेट प्रतियोगिता में उन्होंने विकेट कीपर व बल्लेबाजी में बेहतरीन प्रदर्शन किया। बाद में घर के हालत सही ना होने के कारण दसवीं के बाद पढ़ाई व क्रिकेट छोड़ना पड़ा लेकिन शौकिया तौर पर क्रिकेट जारी रखा। वे अपने साथ बेटे मोहित को भी मैदान में ले जाया करते थे। मोहित ने इच्छा जताई कि वह विकेटकीपर और बल्लेबाज बनना चाहता है।
सैंट मैरी स्कूल में मोहित का दाखिला कराया तो उसका पढ़ाई में कम, क्रिकेट में ज्यादा मन लगता था। शिक्षक ने कह दिया था कि यह पढ़ाई में अच्छा नहीं है। इसे तो क्रिकेटर बना दीजिए। उन्होंने मोहित में अपने आप को देखा और दसवीं के बाद मोहित को 2012 में बहादुरगढ़ बालाजी क्रिकेट एकेडमी में दाखिला करवाया। वहां मोहित को खेलते देख क्रिकेटर गौतम गंभीर के कोच संजय भारद्वाज प्रभावित हुए और वे उसे दिल्ली के लाल बहादुर क्रिकेट अकादमी ले गए। इसके बाद मोहित के खेल में निखार आया।
बबैल गांव के राजकीय स्कूल की अतिथि अध्यापिका मां वीना बताती हैं कि मोहित शांत स्वभाव का है। वह महेंद्र सिंह धौनी को आदर्श मानता है। सफलता के लिए भाग्य के साथ मेहनत बहुत जरुरी होती है जो मोहित की मेहनत में नजर आई है। उम्मीद है कि मोहित रणजी में अच्छा खेलकर भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना लेगा।