ज्योती चौधरी
हमारे यहाँ शादियों व किसी समारोह में होने वाली खाने की बर्बादी से हम सभी वाकिफ हैं। भारतीय संस्कृति में भोजन को अन्न देवता माना जाता है और ऐसा करने वाले को पापी समझा जाता है। मगर आज का हर व्यक्ति इस संस्कृति को भूलता जा रहा है और अन्न का अपमान किया जाता है।
ब्याह-शादी और होटल रेस्तरां आदि में रोजाना कई टन खाना व्यर्थ जाता है। लोग खाना झूठा करके सडकों के किनारे फेंक देते हैं जिससे बदबू फैलती है। इससे लोगों को तो दिक्कत होती ही है। ऐसा सडा खाना खाने से जानवरों की भी मौत हो जाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में जनता से भोजन व्यर्थ न करने की अपील की है।
लोगों द्वारा व्यर्थ किया गया भोजन इतना होता है कि वह करोडो लोगों की भूख मिटा सकता है लेकिन कोई भी इसके बारे में बिलकुल नहीं सोचता। लोगों को खुद सोचना चाहिए कि वो खाने को ऐसे ही खराब न जाने दें इससे ना जाने कितने लोगों की भूख को दूर किया जा सकता है। लोगों को उतना ही खाना अपनी थाली में लेना चाहिए जितना वह खा सकते हैं।
यह केवल भारत के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर विषय बन गया है। विश्व खाद्य संगठन के अनुसार, दुनिया में प्रत्येक सातवां व्यक्ति भूखा सोता है जिससे कईं मौत भी हो रही हैं। भारत में हर साल पांच साल से दस साल तक के बच्चों की मौत इसी कुपोषण के कारण हो रही हैं। फिर भी लोग एक बार भी नहीं सोचते कि इस खाने को बर्बाद करने की बजाय उसे गरीबों में बांट दिया जाए। इससे कुछ गरीबों का तो पेट भरेगा। भोजन को व्यर्थ होने से बचाने के लिए देश के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होने की जरूरत है।