यह तो आप सभी जानते हैं कि भारत में बहुत से प्राचीन मंदिर और इमारतें मौजूद है। इन सभी मंदिरों के दर्शन के लिए दुनिया भर से तीर्थ यात्रा पर आते हैं और मंदिर के दर्शन करते हैं। ऐसे ही सबसे पुराने मंदिरों में से एक बिहार के कैमूर जिले में भी है। जिसका नाम कुंवारा क्षेत्र का मुंडेश्वरी मंदिर है। ऐसा कहा जाता है इसका निर्माण तीन या चार शताब्दियों के दौरान किया गया था। आईए भारत में मौजूद इस प्राचीन मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं-
भगवान विष्णु को समर्पित-
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, इसमें भगवान विष्णु निवास करते हैं। ऐसा कहा जाता की 7वीं शताब्दी में भगवान शिव की एक मूर्ति यहां स्थापित की गई थी। इस मंदिर के आसपास के क्षेत्र में साल 625 शिलालेख पाए गए हैं। यह वाराणसी से 60 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद हैं। यह भारत के सबसे पुराने और सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मुंडेश्वरी नामक पर्वत पर स्थित है।
मुंडेश्वरी माता-
देवी दुर्गा मुंडेश्वरी रूप में प्रकट होती है, वहीं मुंडेश्वरी माता कुछ हद तक वाराही माता की तरह ही नज़र आती है। यहां भगवान शिव के चार मुख है और मंदिर में विष्णु भगवान गणेश जी और सूर्य देव की मूर्तियां भी हैं। चैत्र नवरात्रि के दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ लग जाती है। आर्कियोलॉजिस्ट ने सुरक्षा कारणों की वजह से मुर्तियों को कोलकाता के म्यूजियम में ट्रांसफर कर दिया।
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मुख्य विशेषता सात्विक बली-
इस मंदिर को तांत्रिक पूजा का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर के मुख्य विशेषता सात्विक बली है। यहां सबसे पहले बली के बकरी को देवी की मूर्ति के सामने लाया जाता है. उसके बाद पुजारी मां की मूर्ति को छूकर कुछ चावल बकरे पर फेंक देता है, जिससे कि बकरा बेहोश हो जाता है और फिर थोड़ी ही देर बाद उसका अक्क्षत फेंका जाता है। जिसके बाद वह बकरा खड़ा हो जाता है। ऐसे ही बाली की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
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