कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के पर्वतीय क्षेत्र में हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए केन्द्र को दार्जिलिंग में सीआरपीएफ की अतिरिक्त चार कंपनियां भेजने का शुक्रवार (14 जुलाई) को निर्देश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिता म्हात्रे और न्यायमूर्ति टी चक्रबर्ती की पीठ ने केन्द्र से वहां पहले से तैनात केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 11 कंपनियों के अतिरिक्त सीआरपीएफ के बल प्रदान करने को कहा। अदालत ने राज्य सरकार को भी निर्देश दिया कि वह पर्वतीय इलाकों में हालात सामान्य बनाने के लिए अपने संसाधनों से अतिरिक्त बल प्रदान करे। पर्वतीय क्षेत्र में अलग राज्य की मांग को ले कर पिछले एक महीने से अनिश्चितकालीन बंद जारी है।
अदालत ने गोरखा आंदोलन से लोगों को होने वाली दिक्कतों पर बार बार चिंता जताई। केन्द्र सरकार ने सीआरपीएफ की तीन महिला कंपनियों को बदलने के पश्चिम बंगाल सरकार की मांग के जवाब में हलफनामा के माध्यम से आज कहा कि बलों की महिला सदस्यों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
अशांत दार्जिलिंग पहाड़ियों से एसएसबी की तीन कंपनियों को इस आधार पर बदले जाने की राज्य सरकार की मांग कि वे स्थानीय लोगों को जानते हैं, केन्द्र ने जवाब दिया कि यह बदले जाने के लिए उचित कारण नहीं है क्योंकि एसएसबी बिना भेदभाव के काम करती है। पश्चिम बंगाल के महाधिवक्ता और केन्द्र के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल की दलीलें सुनने के बाद खंडपीठ ने दार्जिलिंग और कलिमपोंग जिलों में पहले से तैनात 11 कंपनियों के अतिरिक्त सीआरपीएफ की चार कंपनियां तैनात करने का निर्देश दिया।