2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही शिवसेना ने मोदी सरकार पर कई बार निशाना साधा। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है। मोदी सरकार में मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी SC/ST कानून को पुराने प्रावधान के तहत लागू करने की मांग कर रही है। उनकी पार्टी का कहना है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसल को पलटते हुए अध्यादेश लाये नहीं तो आंदोलन होंगे।
गैंगस्टर अबू सलेम ने भेजा ‘संजू’ फिल्म निर्माता को नोटिस
रामविलास पासवान के बेटे सांसद चिराग का कहना है कि आज जो हालात है उसको लेकर चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने जो SC/ST कानून में बदलाब किया है उससे कानून कमजोर हो गया है। 7 अगस्त को संसद खत्म कर अध्यादेश लाया जाए तो नहीं तो 9 अगस्त को आंदोलन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन 2 अप्रेल को हुए आंदोल से भी ज्यादा हिंसात्मक हो सकता है। आगे चिराग ने कहा कि जस्टिस एके गोयल को एनजीटी को चेयरमैन बनाया गया उससे दलित समुदाय में यह संदेश गया है कि दलितों को पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने कहा कि जस्टिस एके गोयल को तुरंत हठाया जाए।
राष्ट्रीय पक्षी मोर की अनदेखी, 10 दिनों में 24 मोरों की मौत
आपको बता दें कि इसी साल 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके गोयल और जस्टिस उदय उमेश ललित की पीठ ने एससी/एसटी एक्ट में बड़ा बदलाव करते हुए आदेश दिया था कि किसी आरोपी को दलितों पर अत्याचार के मामले में प्रारंभिक जांच के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। पहले केस दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी का प्रावधान था। आदेश के मुताबिक, अगर किसी के खिलाफ एससी/एसटी उत्पीड़न का मामला दर्ज होता है, तो वो अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकेगा।
इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को देशभर में आंदोलन हुए थे। इस दौरान बड़े पैमाने पर हिंसक वारदातें भी हुई थी। जिसमें कई दलित आंदोलनकारियों को जान गंवानी पड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विपक्षी दलों और बीजेपी के कई दलित सांसदों ने कहा कि इससे दलितों का उत्पीड़न बढ़ेगा। सरकार इस फैसले को पलटे। हालांकि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। लेकिन कोर्ट ने इसपर विचार करने से इनकार कर दिया था। अब दलित नेता सरकार पर अध्यादेश लाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह आज इस थाने में देंगे गिरफ्तारी