विवादों में घिरने के बाद जस्टिस एके सीकरी ने मोदी सरकार द्वारा दिया गया प्रस्ताव ठुकरा दिया है। इस प्रस्ताव में जस्टिस एके सीकरी का नाम लंदन स्थित सीएसएटी में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। जस्टिस एके सीकरी को उच्चस्तरीय चयन समिति में शामिल होने के बाद यह पेशकश मिली थी। आपको बता दे कि जस्टिस सीकरी सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं और वह 6 मार्च को रिटायर होने के बाद सीएसएटी को ज्वाइन करने वाले थे।
इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। आपको बता दे कि जस्टिस एके सीकरी ने ने सरकार से सेवानिवृत्ति के बाद के प्रस्ताव को वापस ले लिया है, जिसके तहत लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था।
Justice AK Sikri, Supreme Court Judge has withdrawn his consent from the post of president/member in London-based Commonwealth Secretariat Arbitral Tribunal (CSAT). Justice Sikri has withdrawn from a post-retirement offer from the government&has informed the authorities: Sources
विवादों में घिरने के बाद जस्टिस एके सीकरी ने मोदी सरकार द्वारा दिया गया प्रस्ताव ठुकरा दिया है। इस प्रस्ताव में जस्टिस एके सीकरी का नाम लंदन स्थित सीएसएटी में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था। जस्टिस एके सीकरी को उच्चस्तरीय चयन समिति में शामिल होने के बाद यह पेशकश मिली थी। आपको बता दे कि जस्टिस सीकरी सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं और वह 6 मार्च को रिटायर होने के बाद सीएसएटी को ज्वाइन करने वाले थे।इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। आपको बता दे कि जस्टिस एके सीकरी ने ने सरकार से सेवानिवृत्ति के बाद के प्रस्ताव को वापस ले लिया है, जिसके तहत लंदन स्थित राष्ट्रमंडल सचिवालय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (सीएसएटी) में अध्यक्ष/सदस्य के तौर पर नामित किया जाना था।खबरों के अनुसार, इंडिया टुडे ने दावा किया कि उनके पास जस्टिस एके सीकरी के लिखे पत्र के कुछ अंश मौजूद हैं, उन्होंने अपना फैसला बदलते हुए पत्र में लिखा, ‘मैं पहले हुए नामांकन और हाल के दिनों में घटे घटनाक्रम को एक साथ जोड़े जाने से आहत हूं। दोनों में किसी तरह का आपसी संबंध नहीं है। मैं आगे किसी तरह का कोई विवाद नहीं चाहता, इसलिए अपनी सहमति वापस ले रहा हूं।इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि न्याय के साथ छेड़छाड़ किया जाता है तो अराजकता राज करती है। यह प्रधानमंत्री नहीं रूकेंगे। राफेल घोटाले को छुपाने के लिए वह हर चीज को नष्ट कर डालेंगे। भ्रष्टाचार के कारण वह डरे हुए हैं और मुख्य संस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं।खबरों की माने तो, प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि जस्टिस सीकरी ने रविवार शाम को लिखकर अपनी सहमति वापस ले ली। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिए पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने अपनी सहमति दी थी। इस पद पर रहते हुए प्रति वर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था। प्रतिष्ठित सीएसएटी में सदस्यों को 4 साल के लिए नियुक्त किया जाता है, जिसे एक बार बढ़ाया जा सकता है।साथ ही, आपको बता दे कि जस्टिस एके सीकरी ने 8 जनवरी को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने को लेकर उनके खिलाफ वोट किया था। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की उच्चअधिकार प्राप्त चयन समिति ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने का फैसला लिया था।प्रधानमंत्री मोदी और जस्टिस एके सीकरी ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने के पक्ष में फैसला लिया जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया था। जस्टिस एके सीकरी का यह वोट आलोक वर्मा को हटाए जाने को लेकर निर्णायक साबित हुआ।
— ANI (@ANI) January 13, 2019
खबरों के अनुसार, इंडिया टुडे ने दावा किया कि उनके पास जस्टिस एके सीकरी के लिखे पत्र के कुछ अंश मौजूद हैं, उन्होंने अपना फैसला बदलते हुए पत्र में लिखा, ‘मैं पहले हुए नामांकन और हाल के दिनों में घटे घटनाक्रम को एक साथ जोड़े जाने से आहत हूं। दोनों में किसी तरह का आपसी संबंध नहीं है। मैं आगे किसी तरह का कोई विवाद नहीं चाहता, इसलिए अपनी सहमति वापस ले रहा हूं।
इसी मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि न्याय के साथ छेड़छाड़ किया जाता है तो अराजकता राज करती है। यह प्रधानमंत्री नहीं रूकेंगे। राफेल घोटाले को छुपाने के लिए वह हर चीज को नष्ट कर डालेंगे। भ्रष्टाचार के कारण वह डरे हुए हैं और मुख्य संस्थाओं को नष्ट कर रहे हैं।
When the scales of justice are tampered with, anarchy reigns.
This PM will stop at nothing, stoop to anything & destroy everything, to cover up the #RafaleScam. He’s driven by fear. It’s this fear that is making him corrupt & destroy key institutions.https://t.co/IfYHf2EMGd
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 13, 2019
खबरों की माने तो, प्रधान न्यायाधीश के बाद देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के एक करीबी सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि जस्टिस सीकरी ने रविवार शाम को लिखकर अपनी सहमति वापस ले ली। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस जिम्मेदारी के लिए पिछले महीने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने अपनी सहमति दी थी। इस पद पर रहते हुए प्रति वर्ष दो से तीन सुनवाई के लिए वहां जाना होता और यह बिना मेहनताना वाला पद था। प्रतिष्ठित सीएसएटी में सदस्यों को 4 साल के लिए नियुक्त किया जाता है, जिसे एक बार बढ़ाया जा सकता है।
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साथ ही, आपको बता दे कि जस्टिस एके सीकरी ने 8 जनवरी को सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को पद से हटाने को लेकर उनके खिलाफ वोट किया था। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की उच्चअधिकार प्राप्त चयन समिति ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने का फैसला लिया था।
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