अजय चौधरी
मोदी बनारस आ रहे हैं, प्रवासी भारतीय दिवस कार्यक्रम शुरू हो चुका है। कितने करोड़ खर्च हो रहे हैं और इससे क्या फायदा होगा कितने देशों से लोग आ रहे हैं, फला फला। इसे एक तरफ रख दिया जाए तो इस कार्यक्रम के चलते बनारस की आम जनता को क्या फायदा हो रहा है चर्चा इस पर ही करते हैं।
कार्यक्रम की वजह से बनारस की आम जनता खुश कम दुःखी ज्यादा नजर आ रही है। कामकाजी लोगों का कहना है कि शहर में वीआईपी मूवमेंट हो हमें कोई एतराज नहीं लेकिन उसके नाम पर आम लोगों को परेशान न किया जाए। हमसे हमारा रोजगार न छीना जाए। एक ऑटो वाले ने बताया उसने महाराष्ट्र में भी एक साल ऑटो चलाया है खूब वीआईपी आते जाते रहे जनता को कुछ परेशानी होती ही नहीं थी। सारी दिक्कतें यूपी में ही होती हैं यहां रास्ते बंद कर दिए जाते हैं। एक किलोमीटर के लिए 3 से 4 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है और जाम अलग है।
क्या चाय वाला, क्या पकोड़े वाला, क्या रेहड़ी पटरी वाला सबको सड़क किनारे से हटा कर वहां चूना डाल दिया गया है। जैसे यहां कुछ था ही नहीं। सारनाथ इलाके में जिस चाय के खोखे पर सुबह शाम भीड़ नहीं टूटती थी। आज वहां उसका नामो निशा नहीं है। कुल्लड़ की चाय पीने के लिए वहां आने वाले लोग निराश हो वापस लौट रहे हैं। चाय वाले ने जाने से पहले बताया कि पुलिस ने 5 दिन से पहले वापस न लौटने को कहा है। और मुझसे पूछा कि बताओ अब इसकी भरपाई कौन करेगा?
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अजय चौधरीमोदी बनारस आ रहे हैं, प्रवासी भारतीय दिवस कार्यक्रम शुरू हो चुका है। कितने करोड़ खर्च हो रहे हैं और इससे क्या फायदा होगा कितने देशों से लोग आ रहे हैं, फला फला। इसे एक तरफ रख दिया जाए तो इस कार्यक्रम के चलते बनारस की आम जनता को क्या फायदा हो रहा है चर्चा इस पर ही करते हैं।कार्यक्रम की वजह से बनारस की आम जनता खुश कम दुःखी ज्यादा नजर आ रही है। कामकाजी लोगों का कहना है कि शहर में वीआईपी मूवमेंट हो हमें कोई एतराज नहीं लेकिन उसके नाम पर आम लोगों को परेशान न किया जाए। हमसे हमारा रोजगार न छीना जाए। एक ऑटो वाले ने बताया उसने महाराष्ट्र में भी एक साल ऑटो चलाया है खूब वीआईपी आते जाते रहे जनता को कुछ परेशानी होती ही नहीं थी। सारी दिक्कतें यूपी में ही होती हैं यहां रास्ते बंद कर दिए जाते हैं। एक किलोमीटर के लिए 3 से 4 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है और जाम अलग है।क्या चाय वाला, क्या पकोड़े वाला, क्या रेहड़ी पटरी वाला सबको सड़क किनारे से हटा कर वहां चूना डाल दिया गया है। जैसे यहां कुछ था ही नहीं। सारनाथ इलाके में जिस चाय के खोखे पर सुबह शाम भीड़ नहीं टूटती थी। आज वहां उसका नामो निशा नहीं है। कुल्लड़ की चाय पीने के लिए वहां आने वाले लोग निराश हो वापस लौट रहे हैं। चाय वाले ने जाने से पहले बताया कि पुलिस ने 5 दिन से पहले वापस न लौटने को कहा है। और मुझसे पूछा कि बताओ अब इसकी भरपाई कौन करेगा?जिन रूटों पर मोदी और योगी को गुजरना है वहां रातों रात टूटी सड़कों को फिर से बना दिया गया है। लोगों का कहना है कि ये सड़क एक बारिश न झेल पाएंगी। सालों से जहां अंधेरा था वहां 4 दिनों के भीतर स्ट्रीट लाइट के खंबे लगा रोशनी का प्रबंध कर दिया गया है। हालांकि विकास भी रास्तों की पहचान करके गुजर रहा है। जहां से कोई वीआईपी नहीं गुजरना वहां टूटी सड़कों पर अगर धूल उड़ रही है तो ये कोई बड़ी बात नहीं। रूट के अंदर आने वाले रास्तों पर दिन में तीन टाइम झाड़ू लग रही है। टैंकर से पानी का छिड़काव कर पान की पीक भी धोयी जा रही है।दशाश्वमेध घाट के समीप बाजार में बैरिकेटिंग कर वहां बैठने वाले छोटे मोटे विक्रेताओं को हटा दिया गया है। हालांकि अभी बड़ी दुकानें खुली हैं। ऑटो और ई-रिक्शा पर भी मुख्य बाजार में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कुल मिलाकर बनारस में अघोषित रूप से छुट्टियां शुरू हो गयी हैं।“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”
जिन रूटों पर मोदी और योगी को गुजरना है वहां रातों रात टूटी सड़कों को फिर से बना दिया गया है। लोगों का कहना है कि ये सड़क एक बारिश न झेल पाएंगी। सालों से जहां अंधेरा था वहां 4 दिनों के भीतर स्ट्रीट लाइट के खंबे लगा रोशनी का प्रबंध कर दिया गया है। हालांकि विकास भी रास्तों की पहचान करके गुजर रहा है। जहां से कोई वीआईपी नहीं गुजरना वहां टूटी सड़कों पर अगर धूल उड़ रही है तो ये कोई बड़ी बात नहीं। रूट के अंदर आने वाले रास्तों पर दिन में तीन टाइम झाड़ू लग रही है। टैंकर से पानी का छिड़काव कर पान की पीक भी धोयी जा रही है।
दशाश्वमेध घाट के समीप बाजार में बैरिकेटिंग कर वहां बैठने वाले छोटे मोटे विक्रेताओं को हटा दिया गया है। हालांकि अभी बड़ी दुकानें खुली हैं। ऑटो और ई-रिक्शा पर भी मुख्य बाजार में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कुल मिलाकर बनारस में अघोषित रूप से छुट्टियां शुरू हो गयी हैं।