आपने कभी सुना है कि गर्भावस्था में बच्चे को कोई बीमारी हो तो उसे बाहर निकालकर उसका इलाज किया जाए और फिर वापस गर्भ में पहुंचा दिया जाए। वैसे यदि ऐसी स्थिति में बच्चे को कोई बीमारी में लग जाएं तो सीधा अबॉर्शन की ही सलाह देते हैं। सुनने में काफी अजीब लग रहा होगा लेकिन अब ऐसा संभव है। अब डॉक्टर गर्भस्थ शिशुओं की गंभीर बीमारी का इलाज कर सकेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो, गुजरात के अहमदाबाद में सिविल अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर में गर्भस्थ शिशु को बाहर निकालकर इलाज किया जा सकेगा। इंस्टीट्यूट में यह सुविधा इसी साल शुरू हो जाएगी। सबसे पहले ब्रिटेन में डॉक्टरों ने कीहोल सर्जरी कर गर्भ से शिशु को बाहर निकालकर इलाज के बाद दोबारा उसे गर्भ में पहुंचा दिया था।
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आप सभी जानते ही है कि सोनोग्राफी के जरिये गर्भावस्था में शिशु की शारीरिक परेशानियों के बारे में पता किया जाता है। डॉक्टर इसमें रीढ़ की हड्डी, न्यूरो, हृदय या दूसरी शारीरिक तकलीफों का पता लगने पर शिशु को गर्भ से बाहर निकालकर इलाज कर सकेंगे। मेडिकल साइंस की भाषा में इसे ‘फीटल सर्जरी‘ कहा जाता है। यह सर्जरी तीन चरण में पूरी होगी। पहला, शिशु को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन। दूसरा, बीमारी का इलाज करना और तीसरा दोबारा गर्भ में पहुंचाना।
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वही, फीटल एंडोस्कोपी फीटल सर्जरी से मिलती जुलती प्रक्रिया है। इसमें ऑपरेशन के जरिये गर्भस्थ शिशु की गंभीर बीमारियों का इलाज गर्भ में ही किया जाता है। इस तरह का उपचार जुड़वां बच्चों के मामलों में किया जाता है। दरअसल, इसकी जरूरत तब पड़ती है जब एक शिशु को मां की ओर से मिलने वाली खुराक ज्यादा और एक को कम मिलती है। इसमें एक शिशु कमजोर हो जाता है। अब इस परेशानी के इलाज में भी फीटल सर्जरी की जा सकेगी।
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