असम में NRC (राष्ट्रीय पंजीकरण नागरिक) लागू होने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने बयान दिया कि वह अपने राज्य में भी एनआरसी लागू करेंगे। साथ ही, उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार परिवार पहचान पत्र पर तेजी से कार्य कर रही है। वहीं, इन पहचान पत्रों के आंकड़ों का उपयोग राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर में भी किया जाएगा। उनके इस बयान के बाद राजनीति से लेकर आम जनता के बीच काफी घमासान मच गया है।
वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि हरियाणा में एनआरसी लागू होता है तो इससे काफी लोगों को दिक्कतें हो सकती है और ऐसा करने से राज्य की जनता भी मुख्यमंत्री से काफी नाराज हो सकती है। लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोगों की राय है कि ऐसा करने से राज्य में बैठे घुसपैठी बाहर निकल कर आ जाएंगे जो छुपकर हंगामा करते है। मुख्यमंत्री के इस फैसले से हरियाणा पर क्या असर होगा ये जानने के लिए हमने हरियाणा के वकीलों से बात की है। आईए देखते हैं, इस फैसले का उनपर क्या असर पड़ता है…
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यहां से शुरू हुआ था NRC
एनआरसी में वो लोग शामिल नहीं होते जिन्हें अवैध नागरिक माना जाता है। असम में पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था। ये रजिस्टर किसी भी राज्य का निवासी या भारतीय होने का सर्टिफिकेट है। असम पहला राज्य है जहां भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। इसके हिसाब से 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।
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असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने को कहा था। इस मुद्दे पर असम में कई बड़े और हिंसक आंदोलन हुए हैं। 1947 में बंटवारे के बाद असम के लोगों का पूर्वी पाकिस्तान में आना-जाना जारी रहा। 1979 में असम में घुसपैठियों के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने आंदोलन किया। इसके बाद 1985 को तब की केंद्र में राजीव गांधी सरकार ने असम गण परिषद से समझौता किया। इसके तहत 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
एनआरसी की पहली लिस्ट 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया गया था, जिसमें 1 करोड़ 9 लाख लोगों के नाम थे। वहीं, दूसरी लिस्ट पिछले साल 30 जुलाई को जारी की गई थी, जिसके लिए 3 करोड़ 29 लाख लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें से 40.07 लाख आवेदकों को जगह नहीं मिली। इसके बाद अंतिम लिस्ट 31 अगस्त को जारी की गई। इस लिस्ट में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को एनआरसी में शामिल किया गया है। तो वहीं इस सूची में 19 लाख 6 हजार 657 लोग बाहर थे। इसमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने कोई दावा पेश नहीं किया था।
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