देश में ज्यादातर लोग अपने पेट में होने वाली जलन यानी एसिडिटी को दूर करने के लिए अक्सर फेमस दवा रेनिटिडाइन (Ranitidine) का इस्तेमाल करते है। इसके सेवन से एसिडिटी में तो तुरंत आराम आ जाता है लेकिन इसके इस्तेमाल से भयानक बीमारी लगने का भी डर बना रहता है। जी हां, एंटी-एसिडिटी रेनिटिडाइन दवा में कई ऐसे केमिकल पाए गए हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा हो सकता है।
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने एंटी-एसिडिटी दवा रेनिटिडाइन को लेकर एक चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि रेनिटिडाइन दवा में कई ऐसे केमिकल पाए गए हैं, जिससे कैंसर होने का खतरा हो सकता है। वहीं, इस चेतावनी के साथ-साथ राज्य सरकारों को भी इस पर कदम उठाने का आदेश दिए है। राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे मरीजों की सुरक्षा के लिए सजग रहें। साथ ही दवा निर्माता कंपनियों से इस बारे में बात करें।
After the #DrugsControllerofIndia ordered an investigation into #ranitidine, a medicine commonly used to counter stomach acidity, following reports that it causes #cancer, physicians say further research is needed.
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— IANS (@ians_india) September 25, 2019
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वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, ड्रग कंट्रोलर की चेतावनी के बाद GSK कंपनी ने सभी रेनिटिडिन दवाओं को रिकॉल कर लिया है। GSK के प्रवक्ता ने कहा कि दवा बेचने वाली कंपनी ग्लेक्सो ने इस चेतावनी के बाद देश भर के खुदरा बिक्री केंद्र से रेनिटिडाइन के जिंटेक 150 और 300 एमजी की दवा वापस मंगा ली है।
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साथ ही, ड्रग कंट्रोलर के निर्देशों के तहत डॉक्टरों को यह सलाह जारी की गई है कि वे इस दवाई को मरीजों को लेने की सलाह ना दें। इस पर डॉक्टरों का कहना है कि इसकी आगे जांच होनी चाहिए है। बता दें रेनिटिडिन कम कीमत में मिलने वाली काफी पुरानी दवा है। इसके अलग-अलग नाम से कई ब्रांड्स बाजार में मौजूद हैं। बता दें, इस दवाई में कैंसर के कारकों का पता सबसे पहले अमेरिका की एफडीए ने लगाया था और इस संबंध में अलर्ट जारी किया था। भारत में इस दवाई का उत्पादन करने वाली कंपनियों को तुरंत प्रभाव से इस दवा का उत्पादन रोकने के लिए कहा गया है।
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आपको बता दें रेनिटिडाइन दवा का इस्तेमाल सिर्फ एसिडिटी में ही नहीं होता, बल्कि कई दूसरी बीमारियों के इलाज में जैसे आंत में होने वाले छाले (अल्सर), गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज, इसोफैगिटिस और जॉलिंगर-एलिसन सिंड्रोम आदि में किया जाता है। यह दवा मार्केट में अलग-अलग फॉर्मूलेशन में टैबलेट और इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है।