दुनियाभर में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पर मानसिक बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। वहीं, किशारों में बढ़ती इस समस्या और इनके बीच मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख की आवश्यकता को देखते हुए संबध हेल्थ फाउंडेशन ने एक मुहिम चलाई है ताकि युवा किशारों की समस्याओं और उनकी चिंताओं को समझा जाए जिससे वे अपने विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और सत्रों के माध्यम से स्वयं, अपने परिवार और समाज के साथ संबंधों को सशक्त बना सकें।
इस खास मौके पर एसएचएफ के ट्रस्टी राजीव अग्रवाल ने बताया कि साल 2019 की थीम मानसिक रोगियों में बढ़ती आत्महत्या को रोकने के लिए विश्व स्तर पर रखी गई। जिसके चलते वल्र्ड मेंटल हैल्थ डे पर युवाओं की टीम के साथ बसई गांव के हिनमैन्यूअल स्कूल, राजकीय सीनियर, सैकंडरी गल्र्स स्कूल, गुरुग्राम, ऋषि पब्लिक स्कूल सहित सावर्जनिक स्थानों पर लेखन, पेंटिंग्स, गीत, संगीत, वाद विवाद प्रतियोगिताओं के माध्यम से जागरुकता के कार्यक्रम आयोजित हुए। इन आयेाजनों में हमारे आसपास रह रहे ऐसे जरूरतमंद मरीजों के प्रति हमारा व्यवहार और आचरण कैसा हो, इस पर किशोरों ने नुक्कड़ नाटक के माध्यम से मानसिक बीमारियों से निपटने के लिए आवश्यक बदलाव पर जोरदार सवाल उठाया है।
वहीं, एसएचएफ की कार्यक्रम अधिकारी स्मृति गिल्होत्रा ने बताया कि हरियाणा के शहरी क्षेत्रों में स्कूल जाने वाले बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि बड़े होते ही किशोरों में तनाव और चिंता से संबंधित खतरे सबसे अधिक देखे गए हैं और यही कारण है कि राज्य में आत्महत्या की दर अधिक है। इस अध्ययन में देखा गया है कि स्कूल जाने वाले कई किशोरों में तनाव के शुरूआती लक्षण मिले हैं।
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साथ ही, उन्होंने कहा कि इस स्थिति की गंभीरता को बेहतर समझने के लिए ग्रामीण हरियाणा के बल्लभगढ़ ब्लॉक में किए गए एक अन्य अध्ययन में किशोरों के बीच आत्महत्या की उच्च दर का पता चला है। आठ वर्षों के अध्ययन में 3.5 प्रतिशत किशोरों की मौतों का कारण आत्महत्या रहा है। आंकड़ों से स्पष्ट है कि बाल और किशोर की मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारी जीवनशैली में तेजी से हो रहे बदलावों ने बच्चों और उनकी दैनिक चुनौतियों से निपटने के उनके तरीके पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। वे खुद और अन्य लोगों के साथ संबंध के महत्व को खोते जा रहे हैं।
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