भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिश से आए 37 नामों को हाई कोर्ट के जजों के लिए अनुमति दे दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 250 जजों के नाम सरकार के पास भेजे थे, जिनमें से 37 नामों को ही सरकार की अनुमति मिल सकी। हालांकि देश के 25 हाईकोर्ट की कुल स्वीकृत पोस्ट 1,108 हैं जिनमें से 380 पद रिक्त थे। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में आयोजित समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश, कानून मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इन नियुक्तियों में हो रही देरी पर चर्चा की थी।
अब कानून मंत्रालय की तरफ से जारी हुई अधिसूचना के मुताबिक सबसे अधिक 11 जजों की नियुक्ति पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में हुई है। इनमें जो नाम शामिल हैं उनमें जस्टिस संजय वशिष्ठ, निधि गुप्ता, अमन चौधरी, त्रिभुवन दहिया, हर्ष बुंगर, नमित कुमार, हरकेश मनुज, आलोक जैन, नरेश सिंह, जगमोहन बंसल और दीपक मनचंदा शामिल हैं। ये सभी न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे।
इन 11 जजों के अलावा 37 नामों में से बचे हुए 26 की नियुक्ति इलाहाबाद, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुवाहाटी और हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालयों में की जाएगी। इस साल के आंकड़ों पर गौर करें तो सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिश पर उच्च न्यायालयों में 138 जजों की नियुक्ति की है। बीते साल कोरोना का प्रकोप होने के बावजूद 120 जजों को नियुक्त किया गया था, जिनमें से 9 न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में ही नियुक्त हुए थे।
देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में अभी भी बड़ी संख्या में जजों की कमी चल रही है। देश भर के उच्च न्यायालयों में इस समय 59 लाख 56 हजार से अधिक मामले लंबित कल रहे हैं और इनकी संख्या दिनों-दिन बढ़ रही है। इसलिए जजों के संगठन समय-समय पर सरकार से जजों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग करते आए हैं।
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वहीं सरकारी आंकड़ों के अनुसार सरकार लगातार जजों की नियुक्ति में बढ़ोतरी कर रही है। सन् 2014 और 2022 तक सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिशों से 769 न्यायाधीशों और 619 अतिरिक्त न्यायाधीशों को उच्च न्यायालयों में नियुक्त किया है। 2014 में, केंद्र सरकार ने देश के 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की तत्कालीन स्वीकृत संख्या को चार अंकों में 906 से बढ़ाकर 1108 कर दिया था।
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