जूली चौरसिया
खगोलविदों ने हाल ही में पृथ्वी के सबसे नजदीक ब्लैक होल की खोज की है , यह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े तारे सूर्य के आकार का 10 गुना है। खगोलविदों ने अंतरराष्ट्रीय जैमिनी ऑब्जर्वेटरी की मदद से पृथ्वी के सबसे करीब ज्ञात ब्लैक होल का पता लगाया और अगला निकटतम ब्लैक होल मोनोसेरोस नक्षत्र में लगभग 3000 प्रकाश वर्ष दूर है जबकि यह नक्षत्र ‘ओफियस’ में 1600 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है।
यह ब्लैक होल खास क्यों है?
यह ब्लैक होल “गैया बी एच 1″ के नाम से भी जाना जाता है> पहला तो यह पृथ्वी के सबसे नजदीक है दूसरा यह कुछ भी पैदा नहीं कर रहा है ना ही गुरुत्वाकर्षण से सब कुछ अपनी और खींच रहा है और ना ही अपने पड़ोसी तारों को इस के विनाश के लिए प्रेरित कर रहा है जिसके लिए ब्लैक होल प्रसिद्ध है न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ” ब्लैक होल निष्क्रिय हैं अर्थात एक शांत हत्यारा जो अभी अंतरिक्ष की धाराओं की प्रतीक्षा कर रहा है ” सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एस्ट्रोफिजिसिस्ट करीम अली बद्री के अनुसार “फॉरवर्ड और स्मिथसोनियन की खोज उनकी टीम ने ही की थी , एक तारा जो लगभग सूर्य की समान दूरी पर है उन्होंने कहा कि हमें जब पहली बार इस सिस्टम में ब्लैक होल के होने का संकेत मिला तब सिर्फ 7 दिनों का समय बचा था। जब ब्लैक होल और तारा सबसे करीब होते हैं और इसके बिंदु का मापन द्रव्यमान का अनुमान लगाने के लिए आवश्यक था , यदि हम इससे चूक जाते तो हमें इसके लिए 1 साल का इंतजार करना पड़ता।
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ब्लैक होल क्या होता है?
ब्लैक होल अंतरिक्ष की सबसे चरम और रहस्यमई चीजें हैं , यह भूतिया होल आकाशगंगा यानी अंतरिक्ष के केंद्र में मौजूद है। ब्लैक होल अंतरिक्ष की एक ऐसी जगह है जहां पर गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है , कि जिससे रोशनी की एक किरण भी बाहर नहीं आ पाती है। यह अदृश्य होते हैं जिसे स्पेस में टेलीस्कोप की मदद से देखा जाता है इसके आसपास के दृश्य निकायों के असामान्य व्यवहार को देखकर इसका पता लगाया जाता है। इस ब्लैक होल को हिंदी भाषा में कृष्ण विवर कहा जाता है यह ब्लैक होल बड़े तारे के अवशेषों से बनते हैं , जो सुपरनोवा विस्फोट में मर जाते हैं और छोटे-छोटे घने न्यूट्रॉन तारे बन जाते हैं।
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