किरण शर्मा
पैकेट वाले स्नैक्स सभी लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। देश में हजारों लोग रोजाना इस तरह के स्नेक्स जैसे (मूंगफली, चिप्स नमकीन, पॉपकॉर्न ) आदि खाते हैं पर क्या आप जानते हैं, कि इस तरह के पैकेजिंग फूड खाने से
आपकी सेहत को खतरा हो सकता है। इस तरह के स्नैक्स खाने से दिल की बीमारियों वाले लोगों पर बहुत असर पड़ता है।
दरअसल, इस तरह के पैकेज्ड फूड के लिए कुछ गाइडलाइन तय की गई है, जिन्हें बेस्ट मैन्युफैक्चरिंग प्रेक्टिस कहा जाता है। WHO के मुताबिक, इस तरह की फूड बनाने वाली कंपनियों को 2023 तक इन गाइडलाइंस का पालन करने को कहा गया था पर उनका अभी भी कई सारी कंपनियां पालन नहीं कर रही हैं।
भारत में इन नियमों का पालन करना शुरू कर दिया है पर फिर भी इनका ज्यादा सेवन सेहत के लिए हानिकारक हो सकता हैं।
किस तरह की बीमारियों का बढ़ता है खतरा-
इस तरह के स्नेक्स खाने से ज्यादातर ट्रांस फैट बढ़ने का खतरा होता है। यह सेहत के लिए बेहद हानिकारक होता है, आजकल लोग मोटापे की गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। माना जाता है, कि ज्यादातर ट्रांसफैट बैक किए गए सामान, तेल, पैकेजिंग फूड आइटम और स्प्रेड में पाया जाता है। यह आसानी से पचता नहीं है और इससे दिल की बीमारियां बढ़ जाती है। एक शोध के अनुसार, दुनिया में ऐसे 16 देश है जिनकी जनता ज्यादातर इस तरह के ट्रांसफैट वाले फूड खाती है। जिनमें ऑस्ट्रेलिया, भूटान, अज़रबैजान मिस्त्र, ईरान कोरिया नेपाल पाकिस्तान आदि कई अन्य देश भी शामिल है।
क्या कहता है WHO-
WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) के मुताबिक, इस तरह के पैकेज्ड फूड मे रिफाइंड शुगर की मात्रा अधिक होने के कारण ट्रांसफैट ज्यादा होता है।
जिससे दिल की बीमारी के अलावा कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। WHO ने इन स्नेक्स का सेहत पर पड़ने वाले खतरे को देखते हुए 2018 में पैकेजिंग फूड फैक्ट्रियों के लिए कुछ नियम बनाए थे। इस साल तक इन सभी नियमों को अमल में लाना था पर अभी भी कई ऐसे देश है, जो इनका पालन नहीं कर रहे है। ऐसे में उन देशों की सरकार को नियम का पालन करने पर जोर देना चाहिए ताकि लोगों की सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों को रोका जा सके।
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WHO (डब्ल्यूएचओ) की दो पॉलिसी-
1-सभी पैकेट वाली चीजों में जिनमें रिफाइन तेल का इस्तेमाल होता है जिसमें हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होती है, उन पर बैन लगाया जाए।
2-मार्केट में मिलने वाली खाने की चीजों पर प्रति 100 ग्राम चीजों पर सिर्फ 2 ग्राम फैट ही इस्तेमाल किया जाए।
3- इन पॉलिसी को ज्यादा से ज्यादा देशों में लागू किया जाए।
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