पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में रूसी कम्युनिस्ट नेता व्लादिमीर लेनिन की एक मूर्ति को कथित तौर पर तोड़ा गया। यह प्रतिमा पिछले 56 वर्षों से नक्सलबाड़ी प्रखंड के बेंगाजोत क्षेत्र में स्थित थी। लेनिन, कार्ल मार्क्स और स्टालिन की तीन मूर्तियां एक साथ लगाई गई थीं, लेकिन बुधवार को केवल लेनिन की ही प्रतिमा टूटी हुई पाई गई। दार्जिलिंग पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
56 साल पुरानी मूर्ति-
इस बीच, CPIM के सदस्य पूर्णा सिंह ने निष्पक्ष जांच और इस घटना के पीछे दोषियों को उचित सजा देने की मांग की। इतिहासकारों के अनुसार 25 मई 1967 को आंदोलनकारी किसानों ने बेंगाजोत इलाके में पुलिस और प्रशासन के खिलाफ मार्च निकाला था। इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जबरदस्त झड़प हुई। पिछले 56 साल से मूर्ति जस की तस है लेकिन आज पहली बार उस पर चोट की गई।
मंगलवार रात को तोड़ी गई मूर्ति-
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि लेनिन की प्रतिमा को कथित तौर पर मंगलवार रात को तोड़ा गया था। पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन अभी तक आरोपी की पहचान नहीं हो पाई है। दूसरी ओर, स्थानीय भाकपा(माले) के सदस्य पूर्णा सिंह ने अपराधियों की पहचान करने और उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की।
लेलिन प्रतिमा को बना रहे निशाना-
सीपीआईएम लिबरेशन के जिला संयोजक अभिजीत मजुमदार ने कहा, “दक्षिणपंथी शासक इस लेलिन प्रतिमा को निशाना बना रहे हैं। जब भाजपा सरकार त्रिपुरा में आई, तो उन्होंने सबसे पहले लक्ष्य लेनिन की मूर्ति को तोड़ना था। इसमें RSS का प्रभाव है, नक्सलबाड़ी, खोरीबाड़ी क्षेत्र। यह कोई अकेली घटना नहीं है, इसके पीछे जरूर कोई मकसद होगा।
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नक्सलबाड़ी आंदोलन का एक स्मारक स्तंभ-
वहां नक्सलबाड़ी आंदोलन का एक स्मारक स्तंभ है। उन्हें वहां मूर्तियां नहीं चाहिए, इसलिए पुलिस प्रशासन को दोषियों को ढूंढकर उन्हें उचित सजा देनी चाहिए। इस बीच, दार्जिलिंग जिला पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, दोषियों को बहुत जल्द पकड़ा जाएगा, जांच जारी है।
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