एक भारतीय दंपत्ति पिछले डेढ़ साल से जर्मन अधिकारियों की गिरफ्त में रह रही अपनी 3 साल की बच्ची को वापस भारत लाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।
जिस पर वह भारतीय अधिकारियों से इस विषय पर बातचीत करने के लिए गुरुवार को मुंबई पहुंचे। जहां उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडिया को बताया कि, “सितंबर 2021 में हमारी 3 साल की मासूम बच्ची की कस्टडी जर्मन चाइल्ड सर्विस को दे दी गई। एक बार गलती से उसके प्राइवेट पार्ट में चोट लग गई थी। जिसके बाद हम उसे डॉक्टर के पास जांच के लिए ले गए, लेकिन डॉक्टर ने उसे ठीक बताते हुए हमें वापस भेज दिया। फिर हम एक फॉलो चेकअप के लिए जब दोबारा डॉक्टर के पास गए तो डॉक्टर ने फिर से उसे ठीक बताया, लेकिन इस बार उन्होंने बाल सेवा को बुलाया और उन्हें हमारी बेटी की कस्टडी सौंप दी क्योंकि हमारी बेटी के प्राइवेट पार्ट की चोट की डॉक्टर को यौन शोषण लग रहा था।”
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उन्होंने आगे बताते हुए कहा, “हमने स्पष्टीकरण के लिए DNA सैंपल भी दिया। जिसके बाद डीएनए परीक्षण, पुलिस जांच और चिकित्सा रिपोर्ट के बाद यौन शोषण का मामला तो हट गया, लेकिन जर्मन चाइल्ड सर्विसेज ने हमारे खिलाफ कस्टडी ख़त्म करने का एक नया मामला दर्ज कर दिया।”
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“इसके बाद हमें कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े, जहां हमें पैरेंटल एबिलिटी की एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। जिसके बाद हमें ट्रायल की अगली डेट मिल गई। रिपोर्ट में यह दर्ज किया गया कि माता-पिता और बच्चे के बीच के संबंध तो काफी मजबूत है, लेकिन वह बच्चे की सही देखभाल करना नहीं जानते हैं। इसके लिए हमें लड़की को एक परिवार में रखना होगा जब तक कि वह 3 से 6 साल की नहीं हो जाती है इसके बाद ही वह सही तरीके से तय कर पाएगी कि उसे अपने माता-पिता के साथ रहना है या फिर पालन गृह में।”
बच्ची के पिता ने कहा कि, “हमने उनसे बच्ची को भारत वापस लाने का अनुरोध भी किया, लेकिन यह तर्क देते हुए साफ इंकार कर दिया कि बच्ची को भारतीय भाषा नहीं आती है, जिससे उसे खतरा हो सकता है।” पिता ने कहा, “मुझे मेरी आईटी कंपनी से भी निकाल दिया गया और हमारे ऊपर पहले से ही 30 से 40 लाख तक का कर्ज है।
बच्ची के मां-बाप का कहना है कि, ‘उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता की देखरेख में अपनी बच्ची से महीने में 1 घंटे मिलने की अनुमति दी जाती है। उन्होंने जर्मन अधिकारियों से अपनी बच्ची को भारतीय भाषा और यहां की संस्कृति को सिखाने के लिए एक काउंसलर एक्सेस की मांग भी की, लेकिन उन्होंने इससे भी साफ इंकार कर दिया।’ उनका कहना है कि उनकी बच्ची के साथ अपराधियों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है।
पेरेंट्स का कहना है कि, “हम अपनी बच्ची को भारत लाना चाहते हैं, क्योंकि अभी तक कोई निष्पक्ष परीक्षण नहीं हुआ है। हम पीएम मोदी से अनुरोध करते हैं कि वह हमें भारत वापस लाने में मदद करें। हम विदेश मंत्री से भी अनुरोध करते हैं कि वह इस समस्या को देखें और हमारे बच्चे को हमें वापस दिलाने में हमारी मदद करें। अगर पीएम मोदी इस मामले को अपने हाथ में लेते हैं तो मामला सुलझ जाएगा।”