किरण शर्मा
UGC (यूजीसी) के द्वारा छात्र शिकायत निवारण समिति के लिए विनियम 2023 जारी किया गया है जोकि 2019 में तय किए गए पिछले दिशानिर्देशों की जगह लेगा। इसके तहत शिकायत निवारण समितियों के अध्यक्ष या सदस्य अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति या अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित महिलाओं के प्रतिनिधियों की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है। यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में नए नियमों का पालन करने के निर्देश दिए है।
इसके अनुसार किसी भी संस्थान में पहले से नामांकित छात्र या ऐसे संस्थानों में प्रवेश पाने वाले इच्छुक छात्र अपनी शिकायतों का निष्पक्षता से निवारण करवा सकेंगे।
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जाति-आधारित भेदभाव से छात्रों को मिलेगा छुटकारा-
अक्सर ऐसा देखा जाता है, कि छात्रों को
जाति आधारित भेदभाव सहन करना पड़ता है और उनकी ऐसी शिकायतें भी सामने आती है। जिससे शिक्षण संस्थानों में दंगे भड़क उठते है लेकिन UGC के निर्देशानुसार तय किए गए मानकों पर अब हर वर्ग का छात्र शिकायत दर्ज करा सकेगा। यह सभी को एक खुला मंच प्रदान करता है। यूजीसी के द्वारा समय-समय पर छात्र शिकायत निवारण समिति के नियमों
पर ध्यान दिया जाता है ताकि
जो भी छात्र अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग या अल्पसंख्यक वर्ग से संबंध रखता है उसे किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना ना करना पड़े।
लोकपाल पद पर भी नियुक्ति-
नए दिशानिर्देश के अनुसार विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों और संस्थानों के छात्रों के लिए
छात्र शिकायत निवारण समिति में
SC, ST, OBC से सदस्य या एक महिला प्रतिनिधि शामिल होगी वहीं इसके अलावा लोकपाल
पद की नियुक्ति को भी बरकरार रखा गया है जोकि 10 वर्ष के
अनुभव के साथ एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर, सेवानिवृत्त कुलपति,
या पूर्व जिला न्यायाधीश होना चाहिए।
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