किरण शर्मा
हर रोज सुबह सड़कों पर हजारों बच्चे स्कूल जाते नजर आते हैं और दोपहर के समय घर वापस आते हैं। उनके बस्तों में इतना बोझ होता है जो उनके थके चेहरों पर साफ नजर आता है हालांकि, इसे लेकर कई बार दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके है लेकिन कोई पुख्ता तय मानक नहीं होने की वजह से बस्ते का बोझ भारी होता जा रहा है लेकिन अब उपभोक्ता मंत्रालय इस ओर कदम उठाने जा रहा है। मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (Bureau of Indian Standard) यानी भारतीय मानक ब्यूरो अब इस मामले में विचार कर यह मानक तय करेगा,
कि स्कूल जाने वाले बच्चों के कंधों पर लटके बस्तों में कितना वजन होना चाहिए।
हालांकि यह कोई आम बात नहीं बल्कि बच्चों के लिए समस्या बनती जा रही है। आज के दौर में बच्चों की उम्र बढ़ती और उनकी लंबाई कम होती जा रही है। तपती धूप में कंधों पर भारी बस्ता बच्चों को परेशान करता है लेकिन आखिर वह कर भी क्या सकते है क्योंकि इसके नियम का कोई भी स्कूल उचित ढंग से पालन नहीं करता है। जिसकी वजह से बच्चों को अपनी सारी किताबें बस्ते में रखकर रोजाना ले जानी पड़ती है।
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महानिदेशक प्रमोद तिवारी ने क्या कहा-
इस विषय को लेकर आजतक ने भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक प्रमोद तिवारी से बातचीत, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, कि वैसे तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा इस बारे में पहले भी कई दिशा-निर्देश दिए जा चुके है लेकिन यह एक अच्छा सुझाव है स्कूल जाने वाले बच्चों के बस्तों में कितना वजन हो इस बारे में रिसर्च कर जल्द ही मानक तैयार करेंगें और इस पर काम करेंगे।
बच्चों के कंधो पर भारी बस्तों के बोझ से माता-पिता और अभिभावक परेशान रहते हैं इसलिए इस बात का ध्यान रखा जाएगा, कि कक्षा पहली से लेकर 10वीं तक के छात्रों के कंधों पर ज्यादा बोझ ना हो। इसके अलावा भारतीय मानक ब्यूरो बच्चे की उम्र और वजन ढोने की क्षमता का विश्लेषण करके जल्द तय मानक और नियम जारी करेगा। जिससे भारी बस्तों के बोझ से बच्चों को राहत मिलेगी।
क्या है भारतीय मानक ब्यूरो-
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड यानी भारतीय मानक ब्यूरो भारत सरकार के उपभोक्ता मंत्रालय के तहत आने वाली एक संस्था है जो देश की हर तरह की वस्तुओं और प्रक्रियाओं की गुणवत्ता और इस्तेमाल करने के मानक तय करता है। इसके अलावा यह संस्था सोशल मीडिया पर किसी भी प्रचार को लेकर भी मानक तय करती है।
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