आपने अब तक मुमताज के ताज महल के बारे में सुना होगा, जो शाहजहां ने उनकी याद में बनवाया था, लेकिन क्या आपने सुना है कि मां की याद में भी एक बेटे ने करोड़ों रुपए खर्च कर ताजमहल जैसी इमारत बनवाई है। यह मामला तमिलनाडु के तिरुवरूर का है, जहां अमीरुद्दीन शेख दाऊद नाम के एक व्यक्ति ने अपनी मां की याद में ताजमहल जैसी इमारत का निर्माण कराया है। इस इमारत की तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, दरअसल अमीरूद्दीन की मां जेलानी बीवी साल 2020 में एक बीमारी की वजह से चल बसीं। उनके लिए उनकी मां ही सब कुछ थी, उन्होंने इस सदमे से बाहर आने की हर मुमकिन कोशिश की।
मां प्रेम शक्ति की मिसाल-
अमीरुद्दीन का कहना है कि उनकी मां प्रेम शक्ति की मिसाल थी, साल 1989 में जब उनके पिताजी एक दुर्घटना में सड़क दुर्घटना में चल बसे, तो उन्होंने 5 बच्चों की परवरिश परवरिश अकेले ही की। जो बिल्कुल भी आसान नहीं था, जब पिता जी की मौत हुई तब माताजी की उम्र सिर्फ 30 साल थी। अमीरुद्दीन का कहना है कि पिताजी के इंतकाल के बाद मेरी मां ने दोबारा शादी नहीं की, जबकि हमारे धर्म में यह सामान्य है। उस वक्त मेरी बहने और मैं काफी छोटे थे, मां परिवार के लिए हर कुर्बानी दी, उन्होंने मां के साथ-साथ पिता का भी फर्ज निभाया है।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था-
उन्होंने आगे बताया कि जब 2020 में मेरी मां गुजर गई तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह हमारे साथ ही है। तिरुवरूर में हमारे पास कुछ जमीन पड़ी थी, मैंने अपने परिवार वालों से कहा कि मैं अपनी मां को अपनी जमीन पर दफनाना चाहता हूं किसी आम कब्रगाह में नहीं।
ड्रीम बिल्डर्स-
जिसके बाद उन्होंने तय किया कि वह अपनी मां की याद में एक इमारत बनवाएंगे, इसके लिए वह ड्रीम बिल्डर्स के पास गए, जिन्होंने उनको ताजमहल जैसी इमारत बनवाने की सलाह दी। शुरुआत में तो उनको यह आइडिया पसंद नहीं आया, लेकिन बाद में वह इस आईडिया के लिए मान गए।.
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5 से 6 करोड़ रुपए-
उनका कहना है कि उनकी मां भी किसी अजूबे जैसी ही थी, 3 जून 2021 को इस इमारत का काम शुरू हुआ। उसके बाद 1 एकड़ जमीन पर करीब 8000 वर्ग फुट हिस्से पर 200 से ज्यादा लोगों ने ताजमहल जैसी संरचना बनवाने का फैसला किया, इसे बनाने में 5.30 करोड़ रुपए का खर्च आया। अमीदुद्दीन का कहना है कि मां ने 5 से 6 करोड़ रुपए छोड़े हुए थे, मुझे उस पैसे से कोई मोल नहीं था, मैंने अपनी बहनों से कहा कि मैं मां के लिए कुछ करना चाहता हूं, वो भी राज़ी हो गए और अब वो इमारत एक चैरिटेबल ट्रस्ट को दे दी गई है।
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