अगर आपका बच्चा भी पढ़ाई के नाम से चिढ़ जाता है या उससे दूर भगाने लगता है, तो पढ़ाई ना करने का सबसे बड़ा कारण घर में पढ़ाई का माहौल ना होना है। इसके चलते आपको बच्चे को बार-बार कहना पड़ता है और जब बच्चा पढ़ाई के लिए बैठता है तो वह अन्य चीजों से डिस्ट्रक्ट हो जाता है। जिसकी वजह से उसका मन किताबों में नहीं लगता। वह किताबों से नफरत करने लगता है और दूर भगाने लगता है, इसलिए बच्चों की पढ़ाई के लिए आवश्यक है कि घर में पढ़ाई का माहौल, शांति, रोशनी सभी चीज हो। ताकि बच्चे के मन में किताबों के प्रति प्रेम की भावना हो ना की नफरत की।

इसके साथ अगर समय-समय पर बच्चों को प्रोत्साहित करना भी बहुत जरूरी हैं, अगर हम केवल उनकी कमियां निकालते रहेंगे, तो उनका मन उदास रहेगा। जिसकी वजह से ना तो उनका मन किताबों में लगेगा और ना ही पढ़ाई करने का मन होगा। इसलिए जब बच्चों को छोटी-छोटी सफलताएं मिलती हैं, तब उन्हें प्रोत्साहित करें, ताकि वे खुश हो और पढ़ाई की तरफ आकर्षित हो।

पढ़ाई में मन ना लगने का तीसरा कारण दिन भर की थकान भी हो सकती हैं, क्योंकि जब बच्चा थक जाता है तो किताब लेते ही उन्हें नींद आने लगती हैं। ऐसी स्थिति में भी बच्चा मन लगाकर पढ़ाई नहीं करता और पढ़ाई के प्रति नफरत पैदा करता है। इसलिए जरूरी हैं कि बच्चे की कम से कम 8 घंटे की नींद पूरी हो। वह अच्छे से खाना खाएं, ताकि उसका दिमाग और शरीर हमेशा एक्टिव रहे और वह मन लगाकर पढ़ाई कर सके।

बच्चों में चंचलता होती है यह बात तो हम सभी जानते हैं, लेकिन पढ़ाई के समय सकारात्मक सोच और एकाग्रता की बहुत जरूरत होती हैं। इसलिए बच्चों में एकाग्रता को बढ़ाने के लिए अच्छा खाना खिलाएं। आप अपने बच्चे को घर का बना हुआ स्वादिष्ट भोजन और योग प्राणायाम करवाएं, ऐसा करने से ना सिर्फ बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से विकसित होगा, बल्कि वह पढ़ाई के प्रति एकाग्रता लेकर भी आएगा।
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अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता पढ़ाई को लेकर बच्चें के ऊपर हद से ज्यादा प्रैशर डालते हैं, जिसके चलते बच्चें को टेंशन होने लगती है और वह नकारात्मक सोच को अपने भीतर जन्म देते हैं। जिसकी वजह से बच्चा ज्यादा सोचता है जो ना सिर्फ उनके शरीर बल्कि मानसिक स्थिति को काफी प्रभावित करता है। इसलिए अध्यापकों और मात-पिता कोई है ध्यान रखना चाहिए की वे अपने बच्चें पर किसी भी प्रकार का कोई प्रैशर ना दें। बच्चें के मन में पढ़ाई के प्रति रुचि उत्पन्न करें, ताकि उसका मन खुद पढ़ाई में लगे। बच्चों को आकर्षित और मनोरंजनात्मक ढंग से पढ़ना की कोशिश करें।
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