Sankashti Chaturthi: माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी या तिलकुटा चौथ भी कहते हैं। इस साल तिलकुट चतुर्थी 29 जनवरी सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन माताएं आपने पुत्रों की लंबी आयु की कामना करते हुए तिल चतुर्थी के व्रत को करती है। इस दिन माताएं विशेष रूप से तिलों से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करती है और अपनी संतान के जीवन को कष्टों से मुक्त करने की प्रार्थना करती है। इस व्रत के प्रभाव से संतान को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है, साथ ही उसके जीवन में आने वाले सभी विघ्नों और बाधाओं को भगवान गणेश दूर कर देते हैं। तिल चतुर्थी को लेकर यह माना जाता है कि भगवान गणेश ने इसी दिन अपने माता-पिता यानी मां पार्वती और पिता महादेव की सात बार परिक्रमा कर अपनी बौद्धिक तीव्रता का परिचय दिया था।
संकष्टी चतुर्थी व्रत-
संकष्टी चतुर्थी नाम से ही यह बात स्पष्ट है कि यह व्रत जीवन में आने वाले संकटों को टालने के लिए किया जाता है। पुत्रवती माताएं इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद गणेश जी की पूजा करते हुए व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। जिसके बाद सूर्यास्त के समय एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान गणेश जी और माता चौथ की प्रतिमा को रख उनकी पूजा करना चाहिए।
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व्रत विधि-
संकष्टी चतुर्थी व्रत में पूजा की सामग्री के रूप में साफ पात्र में जल, रौली, मौली, अक्षत, गुड़, घी, धूप, दीप, पुष्प, फल, दूब, लड्डू, तिलपट्टी, तिल के लड्डू का इस्तेमाल करना चाहिए। ये सभी चीजें भगवान गणेश और माता सकट चौथ को अर्पित करना चाहिए। फिर भगवान गणेश जी और चौथ माता की कथा सुनानी चाहिए, रात के समय चांद निकलने के बाद चंद्रमा को जल का अर्घ्य दें और चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए, जिसके बाद ही सकट चौथ के व्रत की पूर्ण होता है।
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